(क) भाव यह है कि कवि अपने जीवन में कुछ अच्छा होने की आशा कर रहा है। उसके लिए चारों ओर अंधकार रूपी निराशा छायी हुई है। उसे लगता है कि उषा रूपी आशा होने वाली है लेकिन ऐसा होता नहीं है। उसे मात्र यह भान होता है।
(ख) इस पंक्ति का भाव है कि जीवन में निराशा रूपी अंधकार व्याप्त हो चूका है। वह शिला के समान खड़ा है। वह जाता नहीं है। उसके कारण कवि कुछ भी सोचने-समझने में अक्षम है।