निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए −
लेखक की दृष्टि में धर्म की भावना कैसी होनी चाहिए?
लेखक की दृष्टि में धर्म का निजी मामला होता है। प्रत्येक व्यक्ति अपने अनुसार धर्म को मानता है और उसे इसकी छूट भी होनी चाहिए। उसके अनुसार शंख, घंटा बजाना, ज़ोर-ज़ोर से नमाज़ पढ़ना ही केवल धर्म नहीं है। शुद्ध आचरण और सदाचार धर्म के स्पष्ट चिह्न हैं। यदि पूजा पाठ करने के साथ ये नहीं हैं तो धर्म नहीं है। बिना पूजा किए भी यदि ये व्यवहार हैं तो वह व्यक्ति धार्मिक कहलाने योग्य है।