निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए -
'तीसरी कसम' में राजकपूर का महिमामय व्यक्तित्व किस तरह हीरामन की आत्मा में उतर गया। स्पष्ट कीजिए।
राजकपूर अभिनय में प्रवीण थे। वे पात्र को अपने ऊपर हावी नही होने देते थे बल्कि उसको जीवंत कर देते थे। 'तीसरी कसम' में भी हीरामन पर राजकपूर हावी नही था बल्कि राजकपूर ने हीरामन को आत्मा दे दी थी। उसका उकड़ू बैठना, नौटंकी की बाई में अपनापन खोजना, गीतगाता गाडीवान, सरल देहाती मासूमियत को चरम सीमा तक ले जाते हैं। इस तरह उनका महिमामय व्यक्तित्व हीरामन की आत्मा में उतर गया।