नसीरूद्दीन और जमाल साहब बनठन कर घूमने के लिए निकले।
(क) तुम बनठन कर कहाँ-कहाँ जाते हो?
(ख) तुम किस-किस तरह से बनते-ठनते हो?
(क) मैं बनठन कर किसी पार्टी में, विवाह में, रिश्तेदारों के घर और बाज़ार घूमने जाता हूँ।
(ख) मैं स्नान करके नये कपड़े पहनता हूँ। बालों में कंघी करता हूँ। जूते पॉलिश करके ही पहनता हूँ। हाथ में घड़ी बाँधता हूँ। इस प्रकार से मैं बनता-ठनता हूँ।