पाँच साल बाद एक दोस्त देखता है कि मंच पर एक साधु भाषण दे रहा है। सब उसका भाषण बड़े ध्यान से सुन रहे हैं। वह लोगों को अँधकार का डर दिखाकर ज्ञान के प्रकाश में आने के लिए कहता है। उस साधु की बात सुनकर पहला मित्र हँस पड़ता है। जब वह उसके निकट जाता है, तो उसे पता चलता है कि यह तो उसका पुराना मित्र है, जिसने उसे पाँच साल बाद मिलने का वादा किया था। इस प्रकार अचानक दोनों एक-दूसरे से मंच पर मिलते हैं। एक साधु बना होता है और दूसरा टार्च बेचने वाला।