पाठ में अनेक अंश बाल सुलभ चंचलताओं, शरारतों को बहुत रोचक ढंग से उजागर करते हैं। आपको कौन सा अंश अच्छा लगा और क्यों? वर्तमान समय में इन बाल सुलभ क्रियाओं में क्या परिवर्तन आए हैं?
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Solution
पाठ शरतचंद्र की बहुत-सी बाल सुलभ चंचलताओं और शरारतों से भरा पड़ा है। उनका तितली पकड़ना, तालाब में नहाना, उपवन लगाना, पशु-पक्षी पालना, पिता के पुस्तकालय से पुस्तकें पढ़ना और पुस्तकों में दी गई जानकारी का प्रयोग करना। एक बार तो उन्होंने पुस्तक में साँप के वश में करने का मंत्र तक पढ़कर उसका प्रयोग कर डाला। शरतचंद्र द्वारा उपवन लगाना और पशु-पक्षी पालने वाला अंश अच्छा लगा। यह ऐसा अंश है, जो आज के बच्चों में दिखाई नहीं देता है। शरतचंद्र जैसे कार्यों को करके हम प्रकृति के समीप आते हैं। इससे हमारा पशु-पक्षियों के प्रति प्रेमभाव बढ़ता है। आज बड़ी-बड़ी इमारतों में रह रहें बच्चों को ऐसे कार्य करने के लिए ही नहीं मिलते हैं। आज के समय में बाल सुलभ क्रियाओं में बहुत परिवर्तन आएँ हैं। बच्चे प्रकृति के समीप कम और गेजेट्स के समीप पहुँच गए हैं। उनके हाथ में बचपन से ही ये आ जाते हैं। इनमें वे विभिन्न प्रकार की शरारतें करते दिख जाते हैं। वे इसका दुरुप्रयोग कर रहे हैं। यह उनके लिए सही नहीं है। समय बदल रहा है और आधुनिकता का ये जहर बच्चों के बचपन को निगल रहा है।