Passage
Much of the national discourse in India poses environmental sustainability as desirable but inimical to our objective of achieving a high rate of GDP growth, without which poverty eradication and economic and social development of our people would not be possible. There is a trade-off, it is argued, between pursuing development and safeguarding the environment. Still others point to the history of modern industrial development: first there was widespread pollution and degradation of the environment, and then a clean-up and setting of high international standards once prosperity was achieved. China appears to be following the same logic even though there appears to be some rethinking on the subject. We reject these arguments. At the very outset we wish to reiterate that safeguarding the environment is not at all inimical to rapid economic development.
In fact, in our resource constrained world today, maintaining high environmental standards may have become a prerequisite for achieving steady, long-term growth of our economy. This is particularly so given our high population density and the dependence of large numbers on ecosystem services. Nor do we accept the argument that higher standards of living are incompatible with an insistence on environmental sustainability. In fact, maintaining and improving the quality of life for all our citizens may only be possible if the environmental degradation that we witness all around us is reversed and the fragile ecology of our country is preserved. These two propositions lie at the heart of the concept of Green Growth.
According to the Organisation for Economic Cooperation and Development, “Green growth is about fostering economic growth and development while ensuring that the natural assets continue to provide the resources and environmental services on which our well-being relies.” The 13th Finance Commission clearly underscored this in stating, “Green growth involves rethinking growth strategies with regard to the impacts on environmental sustainability and the environmental resources available to poor and vulnerable groups.”
Q. According to the passage which of the following comes under green growth?
1. Reversing environmental degradation
2. Preserving our fragile ecology
3. Maintaining harmonious balance between economic development and environment protection.
4. Environmental resources made available to poor and vulnerable groups
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भारत में राष्ट्रीय चर्चा के अधिकाँश भाग में पर्यावरण संधारणीयता को बांछनीय किन्तु सकल घरेलू उत्पाद में उच्च वृद्धि दर प्राप्त करने के हमारे लक्ष्य का विरोधी माना जाता है, जिसके बिना निर्धनता उन्मूलन एवं हमारे लोगों का आर्थिक व सामाजिक विकास संभव नहीं होगा। जैसा कि तर्क दिया जाता है, विकास अनुशीलन के साथ पर्यावरण को सुरक्षित रखना एक समझौता है। कुछ अन्य आधुनिक औद्योगिक विकास के इतिहास की ओर संकेत करते हैं: पहले व्यापक प्रदूषण था तथा पर्यावरणीय निम्नीकरण हो रहा था। उसके बाद सफाई पर बल दिया गया और समृद्धि प्राप्त करने के बाद उच्च अंतर्राष्ट्रीय मानक तय कर दिए गए। चीन भी इसी तर्क का अनुसरण करता दिख रहा है, हालांकि वहाँ इस विषय पर पुनर्चिन्तन भी होता दिख रहा है। हम इन तर्कों को निरस्त करते हैं। आरम्भ में ही हम इस बात को दोहराना चाहते हैं कि पर्यावरण का संरक्षण तीव्र आर्थिक विकास का बिल्कुल विरोधी नहीं है।
वस्तुतः, विरुद्ध संसाधनों वाले हमारे वर्तमान विश्व में पर्यावरण के उच्च मानक को बनाए रखना हमारी अर्थव्यवस्था के स्थिर तथा दीर्घकालीन वृद्धि के लिये हो सकता है कि पूर्वशर्त बन गयी हो। जनसंख्या के हमारे उच्च घनत्व तथा पारिस्थितकीय सेवाओं पर जनसंख्या के बड़े भाग की निर्भरता को देखते हुए यह बात विशिष्ट रूप से और भी लागू होती है। हम इस तर्क को भी स्वीकार नहीं करते कि पर्यावरण संधारणीयता पर बल जीवन शैली के उच्च स्तर का परस्पर विरोधी है। वस्तुतः, हमारे सभी नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता को बनाए रखना तथा उसे उन्नत करना तभी संभव हो सकता है जब हमारे आस-पास दिख रहे पर्यावरणीय निम्नीकरण की दिशा बदल दी जाए तथा हमारे देश की नाजुक पारिस्थितिकी को संरक्षित किया जाए। ये दोनों ही प्रस्ताव हरित विकास की अवधारणा के केंद्र में अवस्थित हैं।
आर्थिक सहयोग तथा विकास संगठन के अनुसार, “हरित विकास से आशय प्राकृतिक सम्पदाओं द्वारा हमारे कल्याण के लिए आवश्यक संसाधन तथा पर्यावरण संबंधी सेवायें प्रदान करते रहने की सुनिश्चितता के साथ आर्थिक वृद्धि तथा विकास को बढ़ावा देना है”। 13वें वित्त आयोग ने स्पष्ट रूप से रेखांकित किया है, “हरित विकास में पर्यावरण संधारणीयता तथा निर्धनों व कमजोर समूहों को उपलब्ध पर्यावरणीय संसाधनों पर प्रभाव के सम्बन्ध में विकासपरक रणनीतियों पर पुनर्विचार करना सम्मिलित हैं।”
Q. परिच्छेद के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन-सा हरित विकास के अंतर्गत आता है?
1. पर्यावरणीय निम्नीकरण की दिशा बदलना।
2. हमारी भंगुर पारिस्थितिकी को संरक्षित करना।
3. आर्थिक विकास तथा पर्यावरण की सुरक्षा के बीच समरसतापूर्ण संतुलन बनाये रखना।
4. निर्धन तथा सुभेद्य समूहों को पर्यावरणीय संसाधन उपलब्ध कराया जाना।
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