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Question

Passage

When protecting your reputation gets right of way over the fundamental right to freedom of speech and expression, our democracy may be derailed. In criminalizing defamation there is a disturbing disinterest in truth. Not only do you regard the mask to be more important than the face, you also do not care if the one accused of defaming the face is telling the truth. If a report reveals ugly things about a powerful person, it is not enough for the reporter to prove that his facts are right. Only if he can prove that his revealing such ugly facts in the interest of the public, that is does some public good, will he be let off. So never mind the national motto written in courtrooms- no ‘satyamevajayate’ for you

Q. The author is most likely to agree with which among the following statement?

यदि आप अपनी प्रतिष्ठा की रक्षा को वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मूल अधिकार की तुलना में वरीयता प्रदान करते हैं तो हमारा लोकतंत्र पथभ्रष्ट हो सकता है। मानहानि को अपराधिक बनाने का अर्थ है सत्य को स्वीकार करने की अरुचि। आप न केवल मुखौटे को चेहरे की तुलना में अधिक महत्व दे रहे हैं बल्कि आपको इस बात की भी चिन्ता नहीं है कि मानहानि का दोषी व्यक्ति सत्य तो नहीं कह रहा है। यदि रिपोर्ट द्वारा किसी शक्तिशाली व्यक्ति के संबध में बुरी बातें उजागर होती हैं, तो रिपोर्टर के लिए यह सिद्ध करना पर्याप्त नहीं है कि उसके तथ्य सही हैं। यदि वह सिद्ध कर सके कि इस प्रकार के बुरे तथ्यों को प्रकट करना जनता के हित में है, अर्थात वे जनता का कुछ भला अवश्य करते हैं, केवल तभी उसे दोषमुक्त माना जाएगा। इसलिए न्यायालयों में लिखे जाने वाले राष्ट्रीय आदर्श वाक्य - "सत्यमेव जयते"- पर कभी ध्यान न दीजिए, यह आपके लिए नहीं है।

Q. निम्नलिखित कथन में से किससे लेखक के सर्वाधिक सहमत होने की संभावना है?

A
Defamation should remain as a criminal offence in statues.

मानहानि को विधि-विधानों में आपराधिक जुर्म के रूप में होना चाहिए।
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B
Truth should be considered as a valid defense in cases of defamation.

मानहानि के मामलों में सत्य को एक वैध प्रत्युत्तर के रूप में माना जाना चाहिए।
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C
Right to reputation should not given the status of a Fundamental Right.

प्रतिष्ठा के अधिकार को मूल अधिकार का स्थान प्रदान नहीं किया जाना चाहिए।
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D
Mask can never be more important than the face itself.

मुखौटा कभी भी स्वयं चेहरे से अधिक महत्वपूर्ण नहीं हो सकता है।
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Solution

The correct option is B Truth should be considered as a valid defense in cases of defamation.

मानहानि के मामलों में सत्य को एक वैध प्रत्युत्तर के रूप में माना जाना चाहिए।
Option (a) is incorrect. The Author has said that protecting reputation at the cost of freedom of speech and expression can derail democracy. So it is very unlikely that author would agree to defamation remaining a criminal offence.

Option (b) is correct. The Author argues that in defamation cases even telling truth is not enough. Thus, it seems that s/he wants truth to be a valid defence.
Option (c) is incorrect. The Author doesn’t say that there should be no right to reputation. S/he just says that it should not be given priority over the fundamental right to freedom of speech and expression.
Option (d) is also incorrect. The given statement has been as an analogy in a particular context. It won’t be logical to universalize it out of context.

विकल्प (a) गलत है। लेखक ने कहा है कि प्रतिष्ठा की रक्षा को वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मूल अधिकार की तुलना में वरीयता प्रदान करने से लोकतंत्र पथभ्रष्ट हो सकता है। इसलिए लेखक द्वारा मानहानि को आपराधिक जुर्म बने रहने की स्वीकृति प्रदान किए जाने की संभावना नगण्य है।

विकल्प (b) सही है। लेखक का तर्क है कि मानहानि के मामलों में सत्य बोलना भी पर्याप्त नहीं है। इसलिए ऐसा प्रतीत होता है। कि वह सत्य को एक वैध प्रत्युत्तर मानता है।

विकल्प (c) गलत है। लेखक यह नहीं कहता कि प्रतिष्ठा का अधिकार नहीं होना चाहिए। वह केवल यह कहता है कि इसे वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मूल अधिकार की तुलना में वरीयता प्रदान नहीं की जानी चाहिए। विकल्प (d) भी गलत है। दिए गए कथन को किसी विशेष संदर्भ में एक उपमा के रूप में कहा गया है। इसे संदर्भ से हटकर सार्वभौमिक रूप प्रदान करना तर्कपूर्ण नहीं होगा।

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Q. परिच्छेद 4
यदि आप अपनी प्रतिष्ठा की रक्षा को वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मूल अधिकार की तुलना में वरीयता प्रदान करते हैं तो हमारा लोकतंत्र पथभ्रष्ट हो सकता है। मानहानि को अपराधिक बनाने का अर्थ है सत्य को स्वीकार करने की अरुचि। आप न केवल मुखौटे को चेहरे की तुलना में अधिक महत्व दे रहे हैं बल्कि आपको इस बात की भी चिन्ता नहीं है कि मानहानि का दोषी व्यक्ति सत्य तो नहीं कह रहा है। यदि रिपोर्ट द्वारा किसी शक्तिशाली व्यक्ति के संबध में बुरी बातें उजागर होती हैं, तो रिपोर्टर के लिए यह सिद्ध करना पर्याप्त नहीं है कि उसके तथ्य सही हैं। यदि वह सिद्ध कर सके कि इस प्रकार के बुरे तथ्यों को प्रकट करना जनता के हित में है, अर्थात वे जनता का कुछ भला अवश्य करते हैं, केवल तभी उसे दोषमुक्त माना जाएगा। इसलिए न्यायालयों में लिखे जाने वाले राष्ट्रीय आदर्श वाक्य - "सत्यमेव जयते"- पर कभी ध्यान न दीजिए, यह आपके लिए नहीं है।

Q. निम्नलिखित कथन में से किससे लेखक के सर्वाधिक सहमत होने की संभावना है?
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