CameraIcon
CameraIcon
SearchIcon
MyQuestionIcon
MyQuestionIcon
2
You visited us 2 times! Enjoying our articles? Unlock Full Access!
Question

'पढ़ना-लिखना सब अकारथ गया'- वृद्ध मुंशी द्वारा यह बात किस विशिष्ट संदर्भ में कही गई थी? अपने निजी अनुभव के आधार पर बताइए-
(क) जब आपको पढ़ना-लिखना व्यर्थ लगा हो।
(ख) जब आपको पढ़ना-लिखना सार्थ लगा हो।
(ग) 'पढ़ना-लिखना' को किस अर्थ में प्रयुक्त किया गया होगा: साक्षरता अथवा शिक्षा (क्या आप इन दोनों को समान मानते हैं?)

Open in App
Solution

वृद्ध मुंशी चाहते थे कि उनका बेटा रिश्वत ले मगर उनके पुत्र ने ईमानदारी करते हुए अपनी नौकरी भी गँवा दी। तब उन्होंने यह वचन कहे।
(क) एक बार हमारे घर में पापा के दोस्त का बेटा आया हुआ था। वे भैया बहुत पढ़े-लिखे थे। उन्हें अच्छी नौकरी मिली। नौकरी ने उन्हें समृद्धि और नाम दोनों दिया। उनके लिए जब विवाह की बात आई, तो वह चाहते थे कि लड़की सुंदर तथा अमीर हो। उसके गुणों से उन्हें कोई सरोकार नहीं था। उनका मानना था कि धन और सौंदर्य मनुष्य के अवगुणों पर परदा डाल देता है। उनकी इस बात से मुझे लगा कि उनका पढ़ना-लिखना व्यर्थ हो गया। पढ़ाई ने उन्हें धन तो दिया मगर उनकी सोच को विकसित नहीं किया।

(ख) मैं अपने दादा को लेकर अस्पताल गया था। मैंने दादाजी को डॉक्टर को दिखाया। दादाजी की बीमारी के विषय में मैंने खुलकर बात की। मैंने उनकी बीमारी के बारे में किसी समाचार-पत्र में विस्तारपूर्वक पढ़ा था। अतः डॉक्टर से विषय में बात कर पाया और अपनी शंकाओं का हल भी लिया। तब मुझे लगा कि मेरा पढ़ना-लिखना सार्थक हो गया।

(ग) पाठ में पढ़ना-लिखना को शिक्षा के अर्थ में प्रयुक्त किया गया होगा। देखा जाए तो दोनों का अर्थ समान नहीं है। शिक्षा का अर्थ बहुत बड़ा होता है। शिक्षा वह माध्यम है, जिससे हम ज्ञान प्राप्त करते हैं। वह हमें जीविका के साधन के साथ-साथ ज्ञान के सागर में गोते लगवाती है। साक्षरता का अर्थ है किसी व्यक्ति का पढ़ना और लिखना सीखना। इसमें यह आवश्यक नहीं है कि वह संपूर्ण शिक्षा प्राप्त करे। अपना नाम लिखना जान जाए और पढ़ना सीख जाए, उसे भी साक्षर कहा जाता है।

flag
Suggest Corrections
thumbs-up
7
Join BYJU'S Learning Program
similar_icon
Related Videos
thumbnail
lock
Rajaram Maharaj vs Aurangzeb
HISTORY
Watch in App
Join BYJU'S Learning Program
CrossIcon