1. गोकुल के, कुल के, गली के, गोप गाँवन के,
जौ लगि कछू को कछू भाखत भनै नहीं।
कहै पद्माकर परोस पिछ्वारन के,
द्वारन के दौरे गुन औगुन गनै नहीं।
तौं लौं चलि चातुर सहेली! याही कोद कहूँ,
नीके कै निहारै ताहि,भरत मनै नहीं।
हौं तौ श्याम रंग में चोराई चित चोराचोरी,
बोरत तौ बोरयो,पै निचोरत बनै नहीं।
2. गुलगुली गिल मैं गलीचा है गुनीजन हैं,
चाँदनी हैं, चिक हैं, चिरागन की माला है।
कह 'पदमाकर' त्यों गजक गिजा हैं सजी,
सेज हैं, सुराही हैं, सुरा हैं, और प्याला हैं।
सिसिर के पला को न व्यापत कसाला तिन्हैं,
जिनके अधीन एते उदित मसाला हैं।
तान तुक ताला हैं, बिनोद के रसाला हैं,
सुबाला हैं, दुसाला हैं, बिसाला चित्रसाला हैं।
3. चालो सुनि चन्द्रमुखी चित्त में सुचैन करि,
तित बन बागन घनेरे अलि घूमि रहे।
कहै पद्माकर मयूर मंजू नाचत हैं,
चाय सों चकोरनी चकोर चूमि चूमि रहे।
कदम, अनार, आम, अगर, असोक, योक,
लतनि समेत लोने लोने लगि भूमि रहे।
फूलि रहे, फलि रहे,फबि रहे फैलि रहे,
झपि रहे, झलि रहे, झुकि रहे, झूमि रहे।