प्रचार-प्रसार के पुराने तरीकों और वर्तमान तरीकों में क्या फ़र्क आया है? पाठ के आधार पर बताएँ।
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Solution
प्रचार-प्रसार के पुराने तरीकों और वर्तमान तरीकों में बहुत फ़र्क आया है। अब संचार के साधन सुलभ हो गए हैं। अतः इसके माध्यम से पहुँच बहुत सरल हो गई है। इसके अतिरिक्त मनोरंजन के साधनों में भी विकास हुआ है। टी.वी. ने तो इसे बहुत सरल बना दिया है। उस समय प्रचार-प्रसार के लिए ताँगे पर फ़िल्म के पोस्टर लगाए जाते थे तथा साथ में बैंड भी बजाया जाता था। यह समूह प्रचार करने के लिए नगर-नगर घूमा करता था। सिंहगढ़ फ़िल्म का प्रचार-प्रसार ऐसे ही किया गया था। पतंग को बनाने में प्रयोग होने वाले रंगीन कागज़ पर अभिनेता तथा अभिनेत्री की तस्वीर छापी जाती थी। यह घर-घर में बाँटा जाता था। आज टी.वी., सिनेमाघरों, समाचार-पत्र, इंटरनेट, होर्डिंग बोर्ड के माध्यम से इस प्रकार का प्रचार किया जाता है। बस इसके लिए थोड़ा पैसा अधिक लगता है लेकिन सारा कार्य समय पर हो जाता है। कार्यक्रम आयोजक इस प्रचार की ज़िम्मेदारी लेते हैं। इसके लिए घर-घर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। यह आधुनिकता की देन है।