'प्रेमचंद की भाषा बहुत सजीव, मुहावरेदार और बोलचाल के निकट है।' कहानी के आधार पर इस कथन की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
प्रेमचंद शब्दों के जादूगर कहे जाते हैं। उनकी प्रभावी भाषा ही पाठकों को आरंभ से लेकर अंत तक बाँधे रखती है। उनकी भाषा में बनावटीपन के स्थान पर सजीवता है। मुहावरों का प्रयोग करके वे भाषा में जान डाल देते हैं। उनकी भाषा आम बोलचाल की भाषा है, जो इसका विशेष गुण है। वे इसमें मुहावरे, हिन्दी, अंग्रेज़ी तथा ग्राम भाषा के शब्दों का प्रयोग करके उसे सजीव बना देते हैं। पढ़ने वाले को उनके द्वारा कही गई हर बात सरलतापूर्वक समझ आ जाती है।
उदाहरण के लिए देखिए-
• उन्हें क्या खबर कि चौधरी आज आँखें बदल लें, तो यह सारी ईद मुहर्रम हो जाए।
• सैकड़ों आदमियों से मिलना-भेंटना दोपहर के पहले लौटना असंभव है।
• विपत्ति अपना सारा दलबल लेकर आए।
• अमीना का दिल कचोट रहा है।
• अच्छा, अबकी ज़रूर देंगे हामिद, अल्ला कसम, ले जा।
• तो बताते क्यों नहीं, कै पैसे का है?
• ऐसा छा गई कि तीनों सूरमा मुँह ताकते रह गए, मानो कोई धेलचा कंकौआ किसी गंडेवाले कंकौए को काट गया हो।
• हामिद ने मैदान मार लिया।
• कानून की गरमी दिमाग पर चढ़ जाएगी की नहीं।
इन सब वाक्यों को पढ़कर स्पष्ट हो जाता है कि प्रेमचंद की भाषा बहुत सजीव, मुहावरेदार और बोलचाल के निकट है।