परिच्छेद 2
केंद्र सकरार ने अनिवासी भारतियों को विदेशों से डाक द्वारा वोट देने की अनुमिति संबंधी उच्चतम न्यायालय के निर्देश और चुनाव आयोग की संस्तुति को “शब्द एवं आत्मा में कार्यान्वित करने का निर्णय किया है। यद्यपि वर्ष 2010 के संशोधन का आशय राष्ट्रीय राजनीति में अनिवासी भारतियों को सम्मिलित करना था, परन्तु धारा 20A के अनुसार मतदान(चुनाव) के समय, अनिवासी भारतियों के लिए अपने निर्वाचन क्षेत्र में सशरीर उपस्थित होना आवश्यक था। मतदाताओं के लिए अव्यवहारिक होने के साथ, इस प्रकार की आवश्यकता से विधायिका की मूल भावना ही निष्फल होती थी। उच्चतम न्यायालय में एक याचिका देकर प्रार्थना की गयी थी कि धारा 20A को इस प्रकार से पढ़ा जाए कि अनिवासी भारतियों को भारत में शारीरिक रूप से उपस्थित हुए बिना भी मतदान की अनुमति मिल जाए। याचिका में यह तर्क दिया गया था कि इस प्रावधान से संविधान के अनुच्छेद 14 का इस रूप में उल्लंघन होता है कि यह आर्थिक वर्गीकरण के आधार पर कुछ लोगों के साथ परोक्ष रूप से भिन्न व्यवहार करता है। उच्चतम न्यायालय और सरकार इस तर्क या दावे से बेझिझक सहमत हो गये।
Q. “शब्द और आत्मा में " मुहावरे से लेखक का क्या अभिप्राय है?