परिच्छेद 4
यदि आप अपनी प्रतिष्ठा की रक्षा को वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मूल अधिकार की तुलना में वरीयता प्रदान करते हैं तो हमारा लोकतंत्र पथभ्रष्ट हो सकता है। मानहानि को अपराधिक बनाने का अर्थ है सत्य को स्वीकार करने की अरुचि। आप न केवल मुखौटे को चेहरे की तुलना में अधिक महत्व दे रहे हैं बल्कि आपको इस बात की भी चिन्ता नहीं है कि मानहानि का दोषी व्यक्ति सत्य तो नहीं कह रहा है। यदि रिपोर्ट द्वारा किसी शक्तिशाली व्यक्ति के संबध में बुरी बातें उजागर होती हैं, तो रिपोर्टर के लिए यह सिद्ध करना पर्याप्त नहीं है कि उसके तथ्य सही हैं। यदि वह सिद्ध कर सके कि इस प्रकार के बुरे तथ्यों को प्रकट करना जनता के हित में है, अर्थात वे जनता का कुछ भला अवश्य करते हैं, केवल तभी उसे दोषमुक्त माना जाएगा। इसलिए न्यायालयों में लिखे जाने वाले राष्ट्रीय आदर्श वाक्य - "सत्यमेव जयते"- पर कभी ध्यान न दीजिए, यह आपके लिए नहीं है।
Q. निम्नलिखित कथन में से किससे लेखक के सर्वाधिक सहमत होने की संभावना है?