परिच्छेद 5
आर्कटिक में न केवल समुद्री बर्फ के विस्तार में बल्कि इसकी मोटाई और जीवन-अवधि में भी कमी हो रही है। कम बर्फ का अर्थ है, परावर्तन करने वाली सतह में कमी होना, अर्थात अधिक तीव्र गति से बर्फ का पिघलना। तीव्र गति से होने वाली यह कमी वैज्ञानिक अनुमानों से भी अधिक हो जाती है। चमकदार सफेद बर्फ सूर्य के प्रकाश को परावर्तित करती है। जब इसे तुलनात्मक रूप से गहरे रंग वाले जल द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया जाता है तो अधिक ऊष्मा अवशोषित होती है।
यह अंतःस्थलीय रूप से बर्फ के पिघलने एवं सतही वायु के गर्म होने को उत्प्रेरित करती है, परिणामस्वरूप टुण्ड्रा क्षेत्र की हानि होती है। समुद्री बर्फ की मात्रा में कमी होने से समुद्री जल के तापमान और लवणता में परिवर्तन होता है, जिससे पादपप्लवकों और मछलियों की प्राथमिक उत्पादकता और प्रजातियों के संगठन में परिवर्तन होता है, साथ ही साथ समुद्री परिसंचरण में व्यापक स्तर पर परिवर्तन होते हैं, जो आर्कटिक से पर्याप्त आगे के क्षेत्रों तक जैव-विविधता को प्रभावित करते हैं।
Q. निम्नलिखित में से, उपर्युक्त परिच्छेद से निष्कर्षित किया जा सकने वाला सर्वाधिक तार्किक और विवेकपूर्ण निष्कर्ष कौन-सा है?