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Question

प्रसाद शब्दों के सटीक प्रयोग से भावाभिव्यक्ति को मार्मिक बनाने में कैसे कुशल हैं? कविता से उदाहरण देकर सिद्ध कीजिए।

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Solution

प्रसाद जी शब्दों के माध्यम से अपने भावों की अभिव्यक्ति को भी बड़े मार्मिक बना देते हैं। वह शब्दों के साथ इस तरह खेलते हैं मानो कोई कठपुतली को धागों में पिरोकर नचा रहो हो। उनकी भावाभिव्यक्ति इतनी मार्मिक होती है कि हृदय द्रवित हो उठता है। उदाहरण के लिए देखें-

(क) आह! वेदना मिली विदाई!
मैंने भ्रम-वश जीवन संचित,
मधुकिरयों की भीख लुटाई।

(ख) लगी सतृष्णा दीठ थी सबकी,
रही बचाए फिरती कबकी।
मेरी आशा आह! बावली,
तूने खो दी सकल कमाई।
इसी तरह तीसरी पंक्ति में देखिए-

(ग) लौटा लो यह अपनी थाती
मेरी करुणा हा-हा खाती
विश्व!न सँभलेगी यह मुझसे
इससे मन की लाज गँवाई।


कवि ने इन पंक्तियों में देवसेना के हृदय के भावों को बड़ी मार्मिकता से उभारा है। इससे देवसेना के अंदर व्याप्त वेदना और दुख का पता चलता है।

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