'पुरखों की गाढ़ी कमाई से हासिल की गई चीज़ों को हराम के भाव बेचने को मेरा दिल गवाही नहीं देता।' - मालकिन के इस कथन के आलोक में विरासत के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
इसमें मालकिन द्वारा अपने पुरखों की मेहनत के प्रति आदर व सम्मान का भाव व्यक्त किया गया है। वह अपने पुरखों की परिस्थितियों को समझने की पूरी कोशिश करती है कि उन्होंने किन परिस्थितियों में संघर्ष कर घर की ये चीज़ें बनाई है। इसलिए वह उस संघर्ष के प्रति सम्मान भाव रखते हुए उन्हें यूंही बेच देना नहीं चाहती।
मालकिन की ये बात काबिल-ए-तारीफ है। हम कभी ये नहीं समझ पाते की हमारे बुजुर्गों ने कितनी कड़ी मेहनत से हमारे लिए ये सब अर्जित किया होगा पर हम समय के साथ चलते हुए उनका अनादर करते हुए उन्हें बेच देते हैं या फिर नष्ट कर देते हैं। उनकी भावनाओं का तनिक भी ध्यान नहीं रखते। हमें चाहिए कि हम अपनी पीढ़ियों से चली आ रही इन विरासतों का पूरे सम्मान व आदर भाव से ध्यान रखें व दूसरों को भी यही सीख दें।