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पूरी कहानी में जानकी न तो शासन-तंत्र के समर्थन में है न विरोध में, किंतु लेखक ने उसे केंद्र में नहीं रखा बल्कि कहानी का शीर्षक बना दिया। क्यों?

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जानकी किसी भी तंत्र का हिस्सा नहीं है। वह सिर्फ माँ है। माँ का संबंध शासन तंत्र और उसकी व्यवस्था से नहीं होता है। उसके लिए उसकी संतान महत्वपूर्ण होती है। वह राजनीति, शासन, आज़ादी बातों से अनजान होती है। उसमें वात्सल्य है, संतान के प्रति प्रेम है, संतान की शुभकामना है, संतान की सुरक्षा का भाव है। ऐसे ही जानकी है। लेखक भी यहाँ पर शासन-तंत्र को नहीं दर्शाता, वह क्रांतिकारी को नहीं दिखाना चाहता है, वह दिखाना चाहता है एक माँ के निस्वार्थ प्रेम को जो उसे सबसे अलग बना देता है। यह ऐसी भावना है, जो बिना किसी तर्क-वितर्क के मनुष्य को वरदान स्वरूप प्राप्त है। अतः यह कहानी लाल से आरंभ तो अवश्य होती है लेकिन घूमती उसकी माँ के चारों ओर है। यही कारण है कि लेखक ने उसे कहानी का शीर्षक बना दिया।

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