The correct option is
D
1-3-2-4
Explanation:
1. Bardoli Satyagraha: The Bardoli Satyagraha, Feb 1928 was a movement in the independence struggle led by Sardar Vallabhai Patel for the farmers of Bardoli against the unjust raising of taxes.
2. Nehru Report – 10 August 1928: The Nehru Report had the primary motive of assigning Dominion status to India within the British Commonwealth. The major components of the Nehru Report are:
- Bill of Rights
- Assigning Equal rights to men and women as citizens
- Formation of a federal form of government with residuary powers in the hands of Centre
- Proposal for the creation of Supreme Court
3. Karachi Resolution (26 to 31 March) was based upon the Gandhi Irwin pact of 5
th March 1931.
4. Gandhi-Irwin Pact, agreement signed on March 5, 1931, between Mohandas K. Gandhi, leader of the Indian nationalist movement, and Lord Irwin (later Lord Halifax), British viceroy (1926–31) of India. It marked the end of a period of civil disobedience (satyagraha) in India against British rule that Gandhi and his followers had initiated with the Salt March (March–April 1930)
Karachi Resolution: The Karachi Congress Session 1931 was presided over by Sardar Vallabhbhai Patel. It was a special session of Indian National Congress held at Karachi from March 26 to 31 in 1931 to endorse the Gandhi Irwin Pact. Mahatma Gandhi was nominated to represent the Indian National Congress in the Second Round Table Conference.
व्याख्या:
1. बारदोली सत्याग्रह: बारदोली सत्याग्रह, फरवरी 1928 में स्वतंत्रता संग्राम का एक आंदोलन था जिसका नेतृत्व बारदोली के किसानों के लिए सरदार वल्लभ भाई पटेल ने करों की अन्यायपूर्ण वृद्धि के खिलाफ किया था।
2. नेहरू रिपोर्ट - 10 अगस्त 1928: नेहरू रिपोर्ट का मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश राष्ट्रमंडल के भीतर भारत के लिए डोमिनियन का दर्जा लेना था। नेहरू रिपोर्ट के प्रमुख घटक हैं:
- अधिकार पत्र
- नागरिकों के रूप में पुरुषों और महिलाओं को समान अधिकार प्रदान करना।
- केंद्र के हाथों में अवशिष्ट शक्तियों के साथ सरकार के एक संघीय रूप का गठन।
- सर्वोच्च न्यायालय के निर्माण के लिए प्रस्ताव।
3. कराची प्रस्ताव (26 से 31 मार्च) 5 मार्च 1931 के गांधी इरविन समझौते पर आधारित था।
4. गांधी-इरविन समझौता, भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन के नेता गाँधीजी और लॉर्ड इरविन (बाद में लॉर्ड हैलिफ़ैक्स), ब्रिटिश वायसराय (1926–31) के बीच 5 मार्च, 1931 को समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इसने ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारत में सविनय अवज्ञा (सत्याग्रह) की अवधि की समाप्ति को चिह्नित किया, जिसे गांधी और उनके अनुयायियों ने नमक (दांडी) यात्रा (मार्च-1930) के साथ शुरू किया था।
कराची प्रस्ताव: कांग्रेस के कराची अधिवेशन (1931) की अध्यक्षता सरदार वल्लभभाई पटेल ने की थी। यह गांधी इरविन समझौते का समर्थन करने के लिए 26 से 31 मार्च 1931 तक कराची में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का एक विशेष अधिवेशन था। महात्मा गांधी को दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करने के लिए नामित किया गया था।