The correct option is
A
1 only
केवल 1
Explanation: Article 20 mainly deals with the protection of certain rights in case of conviction for offences.
- Clause (1) of Article 20 protects individuals against ex post facto legislation, which means no individual can be convicted for actions that were committed before the enactment of the law.
- Clause (2) (Double Jeopardy) says that no person shall be prosecuted and punished for the same offence more than once.
- Clause (3) (Self Incrimination) states that the accused can never be compelled to be a witness against himself.
Statement 1 is correct: The Supreme Court has held that narco-analysis, polygraph and brain mapping tests on an accused as illegal. The court, however, permitted use of such techniques in criminal cases on consent and with some safeguards only for investigation purposes. Thus, results of these tests can’t be produced as evidence in the court of law.
Statement 2 is incorrect: Ex post facto legislation under Article 20 is applicable to offences that are criminal in nature not civil. Hence, parliament is free to make retrospective laws on taxation as it happened in GAAR (General Anti Avoidance Rules).
Statement 3 is incorrect: Even during a national emergency, Article 20 (Protection in respect of conviction for offences) and Article 21 (Protection of life and personal liberty) cannot be suspended. The express bar regarding the protection of Article 20 and Article 21 during an emergency is contained in Article 359 of the Constitution.
व्याख्या: अनुच्छेद 20 मुख्य रूप से अपराधों के लिए सजा के मामले में कुछ अधिकारों के संरक्षण से संबंधित है।
- अनुच्छेद 20 का खंड (1) पूर्वव्यापी विधियों (ex post facto legislation) के खिलाफ व्यक्तियों की रक्षा करता है, जिसका अर्थ है कि किसे भी व्यक्ति को कानून के अधिनियमन से पूर्व के कार्यों के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।
- खंड (2) (दोहरे दंड से से संरक्षण) के अनुसार किसी भी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए एक बार से अधिक अभियोजित और दंडित नहीं किया जाएगा।
- खंड (3) (आत्म अभिशंसन से संरक्षण) में कहा गया है कि आरोपी को कभी भी अपने खिलाफ गवाह बनने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
कथन 1 सही है: उच्चतम न्यायालय ने निर्णय दिया है कि एक आरोपी का नार्को-विश्लेषण, पॉलीग्राफ और ब्रेन मैपिंग परीक्षण गैरकानूनी है। न्यायालय ने हालांकि, आपराधिक मामलों में सहमति और कुछ सुरक्षा उपायों के साथ केवल जांच के उद्देश्य से ऐसी तकनीकों के उपयोग की अनुमति दी। इस प्रकार, इन परीक्षणों के परिणामों को न्यायालय में साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है।
कथन 2 गलत है: अनुच्छेद 20 के तहत पूर्वव्यापी विधियां (Ex post facto legislation) उन अपराधों पर लागू होती हैं जो आपराधिक हैं, न कि दीवानी (civil) । इसलिए, संसद कराधान पर भूतलक्षी कानून बनाने के लिए स्वतंत्र है, जैसा कि सामान्य कर परिवर्जन रोधी नियम (GAAR) में हुआ था।
कथन 3 गलत है: राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान भी, अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए सजा के संबंध में संरक्षण) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण) को निलंबित नहीं किया जा सकता है। अनुच्छेद 359 आपातकाल के दौरान अन्य मूल अधिकारों के निलंबन (अनुच्छेद 20 एवं 21 द्वारा प्रदत्त अधिकारों के अलावा) से संबंधित है।