Q. Article 20 of the Indian Constitution provides for protection in respect of conviction for offences. With reference to this article, consider the following statements:
Which of the statements given above is/are correct?
Q. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 20 अपराधों के लिए सजा के संबंध में सुरक्षा का प्रावधान करता है। इस अनुच्छेद के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
Explanation: Article 20 mainly deals with the protection of certain rights in case of conviction for offences.
Statement 1 is correct: The Supreme Court has held that narco-analysis, polygraph and brain mapping tests on an accused are illegal. The court, however, permitted use of such techniques in criminal cases on consent and with some safeguards only for investigation purposes. Thus, the results of these tests can’t be produced as evidence in the court of law.
Statement 2 is incorrect: Ex post facto legislation under Article 20 is applicable to offences that are criminal in nature and not civil. Hence, parliament is free to make retrospective laws on taxation, as it happened in GAAR (General Anti Avoidance Rules).
Statement 3 is incorrect: Even during a national emergency, Article 20 (Protection in respect of conviction for offences) and Article 21 (Protection of life and personal liberty) cannot be suspended. The express bar regarding the protection of Article 20 and Article 21 during an emergency is contained in Article 359 of the Constitution.
व्याख्या : अनुच्छेद 20 मुख्य रूप से अपराधों के लिए सजा के मामले में कुछ अधिकारों के संरक्षण से संबंधित है।
कथन 1 सही है: उच्चतम न्यायालय ने निर्णय दिया है कि एक आरोपी का नार्को-विश्लेषण, पॉलीग्राफ और ब्रेन मैपिंग परीक्षण गैरकानूनी है। न्यायालय ने हालांकि, आपराधिक मामलों में सहमति और कुछ सुरक्षा उपायों के साथ केवल जांच के उद्देश्य से ऐसी तकनीकों के उपयोग की अनुमति दी। इस प्रकार, इन परीक्षणों के परिणामों को न्यायालय में साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है।
कथन 2 गलत है: अनुच्छेद 20 के तहत पूर्वव्यापी विधियां (Ex post facto legislation) उन अपराधों पर लागू होती हैं जो आपराधिक हैं, न कि दीवानी (civil)। इसलिए, संसद कराधान पर भूतलक्षी कानून बनाने के लिए स्वतंत्र है, जैसा कि सामान्य कर परिवर्जन रोधी नियम (GAAR) में हुआ था।
कथन 3 गलत है: राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान भी, अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए सजा के संबंध में संरक्षण) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण) को निलंबित नहीं किया जा सकता है। अनुच्छेद 359 आपातकाल के दौरान अन्य मूल अधिकारों के निलंबन (अनुच्छेद 20 एवं 21 द्वारा प्रदत्त अधिकारों के अलावा) से संबंधित है।