Q. Consider the following pairs:
S. no | Movements by Gandhiji | Nature of the Movements |
1. | Champaran Movement | First Civil Disobedience movement |
2. | Ahmedabad Mill strike | First Hunger Strike |
3. | Kheda Satyagraha | First Non-cooperation Movement |
क्रम संख्या | गांधीजी द्वारा शुरू किए गए आंदोलन | आंदोलन की प्रकृति |
1. | चंपारण आंदोलन | पहला सविनय अवज्ञा आंदोलन |
2. | अहमदाबाद मिल हड़ताल | पहली भूख हड़ताल |
3. | खेड़ा सत्याग्रह | पहला असहयोग आंदोलन |
Explanation:
Pair 1 is correctly matched: Gandhi launched the first Civil disobedience movement in Champaran in 1917 which resulted in the eviction of European planters from the Champaran.
Pair 2 is correctly matched : There was a dispute between the textile workers and the mill owners of Ahmedabad over a salary hike in 1918. To bolster the morale of the workers Gandhi himself went on fast. The worker’s strike and Gandhi’s fast ultimately forced the mill owners to concede the demand of workers.
Pair 3 is correctly matched : The peasants of Kheda district of Gujarat, due to the failure of monsoon, plague epidemic, high prices and famine, were in distress in 1918. Gandhi was invited by the members of the Servants of India society. Gandhi, along with Vithalbhai Patel, intervened on behalf of the poor peasants and advised them to withhold payment and ‘fight unto death against such a spirit of vindictiveness and tyranny. It is the first Non-co-operation movement in India by Gandhi against the British authorities.
व्याख्या:
युग्म 1 सुमेलित है: गांधी ने 1917 में चंपारण में पहले सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की थी, जिसके परिणामस्वरूप यूरोपीय बागान मालिकों को चंपारण से निष्कासित गया।
युग्म 2 सुमेलित है: 1918 में वेतन वृद्धि को लेकर अहमदाबाद के कपड़ा मिल के मजदूरों और मालिकों के बीच विवाद हुआ था। मजदूरों का मनोबल बढ़ाने के लिए गांधी जी ने स्वयं अनशन किया था। मजदूरों की हड़ताल और गांधी के अनशन के फलस्वरूप मिल मालिक श्रमिकों की मांग मानने के लिए मजबूर हो गए।
युग्म 3 सुमेलित है: मानसून की देरी, प्लेग महामारी, महंगाई और अकाल के कारण गुजरात के खेड़ा जिले के किसान 1918 में गंभीर संकट का सामना कर रहे थे। गांधी को सर्वेन्ट्स ऑफ़ इंडिया सोसाइटी द्वारा आमंत्रित किया गया था। विट्ठलभाई पटेल के साथ मिलकर गांधी जी ने गरीब किसानों की ओर से हस्तक्षेप किया और उन्हें लगान न देने और इस तरह की बर्बरता और अत्याचार की भावना के खिलाफ अंतिम साँस तक लड़ने की सलाह दी। यह ब्रिटिश अधिकारियों के खिलाफ गांधी जी द्वारा शुरू किया गया भारत में पहला असहयोग आंदोलन था।