The correct option is
C
3 only
केवल 3
Pair 1 is incorrectly matched: The first Anglo- Mysore war was fought between Haidar Ali and the English Forces. The war ended with the treaty of Madras. The treaty provided for the exchange of prisoners and mutual restitution of conquests. Haidar Ali was promised the help of the English in case he was attacked by any other power. The Second Anglo-Mysore War ended with the Treaty of Mangalore.
Pair 2 is incorrectly matched: When Marathas attacked Mysore, The English did not come to help the Hyder Ali. It was a breach of the Treaty of Madras. Due to this, Haidar forged an anti-English alliance with the Marathas and the Nizam. In the Second Anglo Mysore war
He followed it up by an attack in the Carnatic, capturing Arcot, and defeating the English army under Colonel Baillie in 1781.
After the death of Hyder Ali, his son Tipu Sultan continued the war for one year.
- Fed up with an inconclusive war, both sides opted for peace, negotiating the Treaty of Mangalore (March, 1784) under which each party gave back the territories it had taken from the other.
Pair 3 is correctly matched: The Third Anglo–Mysore War (1790–1792) was a conflict in South India between the Kingdom of Mysore and the East India Company and its allies, including the Maratha Empire and the Nizam of Hyderabad. In this war Tipu Sultan was defeated and the treaty of Seringapatam was Signed.
Provisions of treaty of Seringapatam
- Under this treaty of 1792, nearly half of the Mysorean territory was taken over by the victors. Baramahal, Dindigul and Malabar went to the English, while the Marathas got the regions surrounding the Tungabhadra and its tributaries and the Nizam acquired the areas from the Krishna to beyond the Pennar.
जोड़ी 1 का मिलान गलत है : पहला एंग्लो-मैसूर युद्ध हैदर अली और अंग्रेजी सेनाओं के बीच लड़ा गया था।यह युद्ध मद्रास की संधि के साथ समाप्त हुआ। इस संधि के अनुसार कैदियों के आदान-प्रदान और विजित किये गए एक दूसरे के प्रदेशों को वापस किया जाना था ।
किसी अन्य शक्ति द्वारा हमला किए जाने की स्थिति में हैदर अली को अंग्रेजों ने मदद का वादा किया गया था। दूसरा आंग्ल-मैसूर युद्ध मैंगलोर की संधि के साथ समाप्त हुआ।
जोड़ी 2 का मिलान गलत है: जब मराठों ने मैसूर पर हमला किया, तो हैदर अली की मदद करने के लिए अंग्रेज नहीं आये । यह मद्रास की संधि का उल्लंघन था। इसके कारण, हैदर ने मराठों और निज़ाम के साथ अंग्रेज-विरोधी गठबंधन बनाया । द्वितीय एंग्लो मैसूर युद्ध में उसने कर्नाटक में हमले के बाद अर्कोट पर कब्जा कर लिया और 1781 में कर्नल बैली के अधीन अंग्रेजी सेना को हरा दिया।
हैदर अली की मृत्यु के बाद, उसके बेटे टीपू सुल्तान ने एक वर्ष तक युद्ध जारी रखा।
एक अनिर्णायक युद्ध से उकता जाने से दोनों पक्षों ने शांति का विकल्प चुना और मंगलौर की संधि (मार्च, 1784) की, जिसके तहत प्रत्येक पक्ष ने एक दूसरे के जीते हुए क्षेत्रों को वापस दे दिया ।
जोड़ी 3 का मिलान सही है: तीसरा एंग्लो-मैसूर युद्ध (1790-1792) दक्षिण भारत में मैसूर साम्राज्य और ईस्ट इंडिया कंपनी , उसके सहयोगियों जिसमें मराठा और हैदराबाद के निज़ाम शामिल थे ,के बीच हुआ । इस युद्ध में टीपू सुल्तान की हार हुई और सेरिंगपटम की संधि पर हस्ताक्षर किए गए।
सेरिंगपटम की संधि के प्रावधान
1792 की इस संधि के तहत, मैसूरियन क्षेत्र का लगभग आधा हिस्सा विजेताओं द्वारा ले लिया गया । बारामहल, डिंडीगुल और मालाबार अंग्रेजों के पास चले गए, जबकि मराठों ने तुंगभद्रा और इसकी सहायक नदियों के आसपास के क्षेत्रों को प्राप्त किया और निजाम ने कृष्णा से लेकर पेनार से आगे तक के क्षेत्रों का अधिग्रहण किया।