The correct option is B
2 only
केवल 2
Statement 1 is incorrect:
Usually, the members of Parliament, either Lok Sabha or Rajya Sabha, are appointed as ministers. A person who is not a member of either House of Parliament can also be appointed as a minister. But, within six months, he must become a member (either by election or by nomination) of either House of Parliament, otherwise, he ceases to be a minister.
Statement 2 is correct:
A member of either house of Parliament belonging to any political party who is disqualified on the grounds of defection shall also be disqualified to be appointed as a minister. This provision was also added by the 91 st Amendment Act of 2003.
But they can contest elections after defection if they resign as MPs/MLAs. It is relevant in the context of the appointment of disqualified MLAs as ministers as ministers in Karnataka after their resignation and reelection. A former Chief Election Commissioner (S Y Qureshi) argued that disqualified members of parliament/ legislative assemblies must be barred from standing for election for a specified period of time to discourage party hopping.
कथन 1 गलत है:
आमतौर पर, संसद के सदस्यों (लोकसभा या राज्यसभा) को मंत्रियों के रूप में नियुक्त किया जाता है।एक व्यक्ति जो संसद के किसी भी सदन का सदस्य नहीं है, उसे भी मंत्री के रूप में नियुक्त किया जा सकता है।लेकिन,छह महीने के भीतर, उसे संसद के किसी भी सदन का सदस्य (चुनाव या मनोनयन द्वारा) बनना आवश्यक है, अन्यथा उसे मंत्री पद से हटना पड़ेगा।
कथन 2 सही है:
किसी भी राजनीतिक दल से संबंधित संसद सदस्य (दोनों सदनों से संबंधित)जिसे दलबदल के आधार पर अयोग्य ठहराया गया हो वह मंत्री के रूप में भी नियुक्त किये जाने हेतु अयोग्य हो जाता है।यह प्रावधान 2003 में 91 वें संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़ा गया था।
लेकिन वे दलबदल के बाद सांसद/विधायक के रूप में इस्तीफा देकर चुनाव लड़ सकते हैं।यह कर्नाटक में मंत्रियों के रूप में अयोग्य ठहराए गए विधायकों के इस्तीफे और उनके पुनःनिर्वाचन के संदर्भ में प्रासंगिक है।पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त (एस वाई कुरैशी) ने तर्क दिया कि संसद/ विधान सभाओं के अयोग्य ठहराए गए सदस्यों को एक निश्चित अवधि के लिए चुनाव में खड़े होने से रोक दिया जाना चाहिए ताकि दलबदल को हतोत्साहित किया जा सके।