The correct option is B 2 only
केवल 2
Statement 1 is incorrect
The Indian constitution limits the power of the judiciary by incorporating the doctrine of procedure established by law ‘Due process of law’ has a much more expansive meaning than ‘procedure established by law’. ‘Due process of law’ gives more power to the judiciary as it would not be tied down by the procedure established by law (Laws are made by the government).
Statement 2 is correct
The Indian constitution limits the power of the parliament by making the Supreme Court the guarantor of fundamental rights. Some of the fundamental rights cannot be suspended even at the time of emergency.
Extra Information
The doctrine of sovereignty of Parliament is associated with the British Parliament while the principle of judicial supremacy with that of the American Supreme Court. Just as the Indian parliamentary system differs from the British system, the scope of judicial review power of the Supreme Court in India is narrower than that of what exists in US. This is because the American Constitution provides for ‘due process of law’ against that of ‘procedure established by law’ contained in the Indian Constitution (Article 21). Therefore, the framers of the Indian Constitution have preferred a proper synthesis between the British principle of parliamentary sovereignty and the American principle of judicial supremacy.
The Supreme Court, on the one hand, can declare the parliamentary laws as unconstitutional through its power of judicial review.
The Parliament, on the other hand, can amend the major portion of the Constitution through its constituent power.
कथन 1 गलत है
भारतीय संविधान कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के सिद्धांत को शामिल करके न्यायपालिका की शक्ति को सीमित करता है। "कानून की विधिवत् प्रक्रिया" का "कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया "की तुलना में अधिक विस्तृत अर्थ है। ‘कानून की विधिवत प्रक्रिया’ न्यायपालिका को और अधिक शक्ति प्रदान करती है क्योंकि यह कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया से बंधी नहीं होगी (कानून सरकार द्वारा बनाए गए हैं)।
कथन 2 सही है
भारतीय संविधान सर्वोच्च न्यायालय को मौलिक अधिकारों का गारंटर बनाकर संसद की शक्तियों को सीमित करता है। कुछ मौलिक अधिकारों को आपातकाल के समय भी निलंबित नहीं किया जा सकता है।
अतिरिक्त जानकारी
संसद के आधिपत्य का सिद्धांत ब्रिटिश संसद के साथ जुड़ा हुआ है जबकि न्यायिक वर्चस्व का सिद्धांत अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय के साथ जुड़ा है। जिस प्रकार भारतीय संसदीय प्रणाली ब्रिटिश प्रणाली से भिन्न है वैसे ही भारत में सर्वोच्च न्यायालय की न्यायिक समीक्षा शक्ति का दायरा अमेरिका की तुलना में संकीर्ण है ।
ऐसा इसलिए है क्योंकि अमेरिकी संविधान भारतीय संविधान में निहित 'विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया' के विरुद्ध 'विधि की सम्यक् प्रक्रिया' प्रदान करता है । (अनुच्छेद 21)। इसलिए भारतीय संविधान के निर्माताओं ने संसदीय संप्रभुता के ब्रिटिश सिद्धांत और न्यायिक वर्चस्व के अमेरिकी सिद्धांत के बीच एक उचित मिश्रण को प्राथमिकता दी है ।
सर्वोच्च न्यायालय एक तरफ न्यायिक समीक्षा की शक्ति के माध्यम से संसदीय कानूनों को असंवैधानिक घोषित कर सकता है। दूसरी ओर संसद अपनी संविधानीक शक्ति के माध्यम से संविधान के प्रमुख हिस्सों में संशोधन कर सकती है।