The correct option is B
1 and 3 only
केवल 1 और 3
Explanation:
Why in the news?
A Rs 4,000 crore was allocated for over five years in the FY22 Budget for India’s Deep Ocean Mission.
Statement 1 is correct: The Deep Ocean Mission is proposed as multi-ministerial multi-disciplinary programme with emphasis on development of deep sea technology, exploration of deep sea(i.e India's Exclusive Economic Zone and Continental Shelf) mineral resources and biodiversity, acquisition of a research vessel for exploration, deep sea observations, and capacity building.
Statement 2 is incorrect: Indian Ocean Research Vessel (ORV), Sagar Nidhi, is not part of the Deep Ocean Mission. It was set out as part of an Indo-US expedition seeking to find answers to the vagaries of the Bay of Bengal-fed southwest monsoon, which accounts for 70% of India’s annual rainfall.
Statement 3 is correct: Indian Space Research Organisation developed the design of a manned submersible capsule capable of travelling 6,000 m deep for the mission. The development was announced on the sidelines of the silver jubilee celebrations of the National Institute of Ocean Technology.
व्याख्या:
सुर्ख़ियों में क्यों?
भारत ने डीप ओशन मिशन के लिए वित्त वर्ष 2022 के बजट में पांच वर्षों के लिए 4,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे।
कथन 1 सही है: डीप ओशन मिशन को गहरे समुद्री प्रौद्योगिकी के विकास, गहरे समुद्री (यानी भारत के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र और महाद्वीपीय शेल्फ) खनिज संसाधनों और जैव विविधता की खोज, गहरे समुद्र के अवलोकन और क्षमता निर्माण के लिए अनुसंधान पोत के अधिग्रहण पर जोर देते हुए बहु-मंत्रालयीय बहु-विषयक कार्यक्रम के रूप में प्रस्तावित किया गया है।
कथन 2 गलत है: हिंद महासागर अनुसंधान पोत (ORV), सागर निधि, डीप ओशन मिशन का हिस्सा नहीं है। इसे भारत-अमेरिका अभियान के हिस्से के रूप में भेजा गया था, जो बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पश्चिम मानसूनजिससे भारत में 70% वार्षिक वर्षा होती हैकी अनियमितता का पता लगाने के लिए भेजा गया है।
कथन 3 सही है: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने मिशन के लिए 6,000 मीटर गहरी यात्रा करने में सक्षम मानवयुक्त सबमर्सिबल कैप्सूल के डिजाइन को विकसित किया है। इसकी घोषणा राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान के रजत जयंती समारोह के अवसर पर की गई थी।