Q. Consider the following statements regarding Arya Samaj:
Which of the statements given above are correct?
Q. आर्य समाज के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
ऊपर दिए गए कौन से कथन सही हैं?
Explanation
The Arya Samaj was founded by Swami Dayanand in 1875.The ten rules of Arya Samaj were adopted on July 24, 1877. These are the fundamental tenets of Arya Samaj and all Aryas are expected to conform to them. The first two are related to God and the third to the Vedas. God and the Vedas are the bases of Arya Samaj. The rest are a guide to the conduct of a moral man. This society affirms on the infallibility of Vedas
Statement 1 is incorrect
Swami Dayanand tried several times to form a society. Once in Arrah(Bihar) in 1872 and again at Banaras in 1874, but both attempts had been short lived. On January 16, 1875 he set up the Arya Samaj at Rajkot but it did not flourish. Again in January 1875 he set up another Arya Samaj at Ahmedabad, but this attempt too failed. But on April 10, 1875 he set up the Arya Samaj at Bombay. It proved very successful. In Bombay a combination of factors created the right atmosphere for his renewed attempts to spread the influence of Arya Samaj.Therefore Arya Samaj was founded successfully in western India
Statement 2 is correct
It fought against untouchability and hereditary caste system. It encouraged women to study the Vedas
Statement 3 is correct
It sought to prevent the conversion of Hindus to other religions.One of the most important and unconventional steps that Dayanand took was to offer to "reclaim" Hindus who had changed their religion to Islam, Christianity and so on. This was often done en masse in what was known as the "Shuddhi " ceremony or ceremony of purification.
Additional Information
Some of Swami Dayanand‟s followers later started a network of schools and colleges in the country to impart education on western lines. Lala Hansraj played a leading part in this effort. On the other hand, in 1902, Swami Shradhananda started the Gurukul near Haridwar to propagate the more traditional ideals of education.
व्याख्या:
आर्य समाज की स्थापना स्वामी दयानंद ने 1875 में की थी।आर्य समाज के दस नियमों को 24 जुलाई, 1877 को अपनाया गया था।ये आर्य समाज के मूलभूत सिद्धांत हैं और सभी आर्यों से इसका अनुसरण करने की उम्मीद की जाती है।प्रथम दो नियम भगवान से और तीसरा वेद से संबंधित हैं।ईश्वर और वेद आर्य समाज के आधार हैं।शेष नियम नैतिक मनुष्य के आचरण के लिए मार्गदर्शक हैं।यह समाज वेदों की अचूकता की पुष्टि करता है।
कथन 1 गलत है।
स्वामी दयानंद ने इस समाज को गठित करने का कई बार कोशिश की।एक बार 1872 में आरा (बिहार) में और फिर 1874 में बनारस में, लेकिन दोनों ही प्रयास असफल साबित हुए।16 जनवरी, 1875 को उन्होंने राजकोट में आर्य समाज की स्थापना की, लेकिन यह पनप नहीं पाया।जनवरी 1875 में फिर से उन्होंने अहमदाबाद में एक और आर्य समाज की स्थापना की, लेकिन यह प्रयास भी विफल रहा।लेकिन 10 अप्रैल, 1875 को उन्होंने बॉम्बे में आर्य समाज की स्थापना की।यह बहुत सफल साबित हुआ। बंबई में कई कारकों के संयोजन ने आर्य समाज के प्रभाव को फैलाने के उनके प्रयासों के लिए सही माहौल का निर्माण किया।अतः आर्य समाज की स्थापना पश्चिमी भारत में सफलतापूर्वक की गई थी।
कथन 2 सही है।
इसने अस्पृश्यता और वंशानुगत जाति व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई लड़ी। इसने महिलाओं को वेदों के अध्ययन के लिए प्रोत्साहित किया।
कथन 3 सही है।
इसने हिंदुओं के अन्य धर्मों में धर्म परिवर्तन को रोकने की मांग की।दयानंद द्वारा उठाए गए सबसे महत्वपूर्ण और अपरंपरागत कदमों में से एक कदम था उन हिंदुओं को "पुनःअपने धर्म " में वापस लाना जो इस्लाम या ईसाई धर्म में परिवर्तित हो गये थे।इसे अक्सर "शुद्धि" समारोह के रूप में जाना जाता है।
अतिरिक्त जानकारी:
स्वामी दयानंद के कुछ अनुयायियों ने बाद में पश्चिमी तर्ज पर शिक्षा प्रदान करने के लिए देश में स्कूलों और कॉलेजों का एक नेटवर्क शुरू किया।लाला हंसराज ने इस प्रयास में एक प्रमुख भूमिका निभाई।दूसरी ओर, 1902 में, स्वामी श्रद्धानंद ने शिक्षा के अधिक पारंपरिक आदर्शों का प्रचार करने के लिए हरिद्वार के पास गुरुकुल की शुरुआत की।