Q. Consider the following statements regarding the Indian space mission to the Moon recently seen in the news.
Which of the statements given above are correct?
Q. हाल ही में चर्चित, चंद्रमा के लिए भारतीय अंतरिक्ष मिशन के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
उपर्युक्त कथनों में से कौन से सही हैं?
Explanation:
Although the soft landing of Chandrayaan-2 on the Moon failed, the Orbiter has been doing its job. 2 years on, ISRO has released the information gathered, from confirmation of the presence of the water molecule to data about solar flares.
Statement 1 is incorrect: Chandrayaan-1 could not distinguish between hydroxyl radical (OH) and water molecule (H2O, which too has OH). Using the Imaging Infra-Red Spectrometer (IIRS) on board Chandrayaan-2 has been able to distinguish between hydroxyl and water molecules, and found unique signatures of both. This is the most precise information about the presence of H2O molecules on the Moon till date.
Statement 2 is correct: The presence of water on the Moon had already been confirmed by Chandrayaan-1, India’s first mission to the Moon that flew in 2008. Before that, NASA missions Clementine and Lunar Prospector too had picked up signals of water presence.
Statement 3 is correct: Previously, water was known to be present mainly in the polar regions of the Moon. Chandrayaan-2 has now found signatures of water at all latitudes, although its abundance varies from place to place.
व्याख्या:
यद्यपि, चंद्रयान-2 की चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग भले ही विफल हो गई, परंतु ऑर्बिटर अपना काम कर रहा है। दो वर्षों के पश्चात, इसरो ने एकत्र की गई जानकारी जारी की है, जिसमें पानी के अणु की उपस्थिति की पुष्टि से लेकर सौर प्रज्वाल से संबंधित आँकड़े शामिल हैं।
कथन 1 गलत है: चंद्रयान -1 हाइड्रॉक्सिल मूलक (OH) और पानी के अणु (H2O, जिसमें भी OH है) के बीच अंतर स्पष्ट करने में विफल हो गया था। अपने साथ ले गए इमेजिंग इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर (IIRS) का उपयोग करके चंद्रयान -2 ने हाइड्रॉक्सिल और पानी के अणुओं के बीच अंतर स्पष्ट कर लिया, और दोनों के विशिष्ट साक्ष्य प्राप्त किए हैं। चंद्रमा पर H2O अणुओं की उपस्थिति से संबंधित यह अब तक की सबसे सटीक जानकारी है।
कथन 2 सही है: चंद्रमा पर पानी की उपस्थिति की पुष्टि चंद्रयान -1 द्वारा पहले ही की जा चुकी है, जो 2008 में चंद्रमा के लिए भारत का पहला मिशन था। इससे पहले, नासा के मिशन क्लेमेंटाइन और लूनर प्रॉस्पेक्टर ने भी पानी की उपस्थिति के संकेत प्राप्त किए थे।
कथन 3 सही है: पहले ऐसा माना जाता था कि पानी मुख्य रूप से चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों में ही मौजूद है। चंद्रयान-2 को अब सभी अक्षांशों पर पानी के साक्ष्य मिल गए हैं, हालाँकि इसकी प्रचुरता विभिन्न स्थानों पर भिन्न है।