The correct option is B
1 and 2 only
केवल 1 और 2
Explanation:
MSS bonds are special bonds floated on behalf of the government by the Reserve Bank of India for the sole purpose of absorbing the excess liquidity in the system by selling government bonds, when normal government bonds become inadequate.
The Reserve Bank first launched MSS bonds in February 2004 when the country was flushed by dollar inflows, which had to be transformed into rupee. This created a huge surplus of liquidity in the economy, and the RBI decided to absorb it by issuing MSS bonds, as the central bank was running out of regular government bonds.
Statement 1 is correct: These are often short-tenure bonds with a maturity of fewer than six months. But depending on the criteria, the tenure varies. The primary objective of this scheme is to help the RBI's sterilisation operations.
Statement 2 is correct: MSS bonds are raised through an auction and are tradable in the secondary market.
Statement 3 is incorrect: MSS bonds earn a return and qualify for statutory liquidity ratio (SLR) that banks need to maintain in the form of short-tenured treasury bills and government bonds.
Extra information:
Regular government bonds are a part of the borrowing scheme of the government and the payment of interest on them affects the fiscal situation. In the case of MSS bonds, an equal cash balance kept by the government with the Reserve Bank matches the MSS bills and securities. They have, therefore, just a marginal effect on the revenue and fiscal positions of the country. The cost of the payment of such interest is shown separately in the budget.
व्याख्या:
MSS बॉन्ड भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा प्रणाली में विद्यमान अतिरिक्त तरलता को अवशोषित करने के उद्देश्य से सरकार की ओर से जारी किए गए विशेष बॉन्ड होते हैं, जब सामान्य सरकारी बॉन्ड अपर्याप्त हो जाते हैं।
रिज़र्व बैंक ने पहली बार फरवरी 2004 में MSS बांड लॉन्च किया था, जब देश में डॉलर की आमद अत्यधिक हो गयी थी जिसे रुपये में बदलने की आवश्यकता थी। इसने अर्थव्यवस्था में तरलता के एक बड़े अधिशेष का निर्माण किया जिसे रिज़र्व बैंक ने MSS बॉन्ड जारी करके अवशोषित करने का फैसला किया, क्योंकि इसके पास सामान्य सरकारी बॉन्ड समाप्त हो रहे थे।
कथन 1 सही है: ये प्रायः छः महीने से कम की परिपक्वता अवधि वाले लघु-अवधि के बॉन्ड होते हैं। लेकिन मानदंडों के आधार पर इनकी अवधि बदलती रहती है। इस योजना का प्राथमिक उद्देश्य रिज़र्व बैंक की स्थिरीकरण प्रक्रिया में सहायता करना है।
कथन 2 सही है: MSS बॉन्ड नीलामी के माध्यम से एकत्र किए जाते हैं और द्वितीयक बाजार में व्यापार योग्य होते हैं।
कथन 3 गलत है: MSS बॉन्ड में रिटर्न प्राप्त होता है और ये वैधानिक तरलता अनुपात (Statutory Liquidity Ratio-SLR) के लिए अर्हता भी रखते हैं, जिन्हें बैंकों को लघु-अवधि के ट्रेजरी बिल और सरकारी बॉन्ड के रूप में बनाए रखने की आवश्यकता होती है।
अतिरिक्त जानकारी:
सामान्य सरकारी बॉन्ड सरकार की ऋण योजना के भाग होते हैं और उन पर ब्याज का भुगतान राजकोष को प्रभावित करता है। MSS बॉन्ड के मामले में, सरकार द्वारा रिजर्व बैंक के पास रखा गया समान नकद अधिशेष MSS बिल और प्रतिभूतियों से मेल खाता है। इसलिए, देश के राजस्व और राजकोषीय स्थितियों पर इसका मामूली प्रभाव पड़ता है। इस तरह के ब्याज के भुगतान की लागत बजट में अलग से दर्शायी जाती है।