The correct option is C
1 and 3 only
केवल 1 और 3
The Speaker is the head of the Lok Sabha. He is the guardian of powers and privileges of the members and the House as a whole.
Statement 1 is incorrect:
There is no provision for holding a joint sitting of both the Houses of Parliament if there is a deadlock over the passage of a constitutional amendment bill. On the other hand, a provision for a joint sitting is made in the case of an ordinary bill. The speaker presides over the joint sitting in that case.
Statement 2 is correct:
Speaker decides whether a bill is a money bill or not. When a money bill is transmitted to the Rajya Sabha for recommendation and presented to the President for assent, the Speaker endorses on the bill his certificate that it is a money bill.
The Supreme Court in September, 2018 noted that the decision of the Speaker to classify a bill as money bill is amenable to judicial review while justifying the passage of the Aadhaar Bill as a money bill in the parliament. This has opened the gates for judicial scrutiny of the Speaker’s decision.
Statement 3 is incorrect:
He decides the questions of disqualification of a member of the Lok Sabha, arising on the grounds of defection under the provisions of the Tenth Schedule. In 1992, the Supreme Court ruled that the decision of the Speaker in this regard is subject to judicial review.
अध्यक्ष लोकसभा का प्रमुख होता है।वह समग्र रूप से सदस्यों और सदन की शक्तियों तथा विशेषाधिकारों का संरक्षक होता है।
कथन 1 गलत है:
संवैधानिक संशोधन विधेयक के पारित होने में गतिरोध उत्पन्न होने पर संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक आयोजित करने का कोई प्रावधान नहीं है।दूसरी ओर, साधारण विधेयक के मामले में संयुक्त बैठक का प्रावधान है।लोकसभाध्यक्ष उस स्थिति में संयुक्त बैठक की अध्यक्षता करता है।
कथन 2 सही है:
लोकसभाध्यक्ष तय करता है कि कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं।जब धन विधेयक को राज्य सभा की सिफारिश के लिए प्रेषित किया जाता है और राष्ट्रपति के समक्ष उसकी सहमति के लिए प्रस्तुत किया जाता है, तब लोकसभाध्यक्ष अनुमोदित करता है कि विधेयक धन विधेयक है या नहीं।
सर्वोच्च न्यायालय ने सितंबर, 2018 में “आधार” विधेयक को धन विधेयक के रूप पारित किये जाने के मामले में कहा कि संसद में किसी विधेयक को धन विधेयक के रूप में मान्यता देने का लोकसभाध्यक्ष का निर्णय न्यायिक समीक्षा के अधीन है।इस फैसले ने लोकसभाध्यक्ष के निर्णय की न्यायिक समीक्षा किये जाने के लिए द्वार खोल दिए हैं।
कथन 3 गलत है:
वह दसवीं अनुसूची के प्रावधानों के तहत दलबदल के आधार पर लोकसभा के सदस्य की अयोग्यता के संबंध में निर्णय करता है।1992 में सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला दिया कि इस संबंध में लोकसभाध्यक्ष का निर्णय न्यायिक समीक्षा के अधीन है।