Q. Consider the following statements:
Which of the statements given above are correct?
Q. निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
Explanation:
Statement 1 is incorrect: Sovereign Guarantee is a promise by the Government to discharge the liability of a third person in case of his default. The guarantee cover of the Government of India (GoI) is limited only to the payment of principal and normal interest in case of default. GoI is not liable to pay any penal interest/any other charges. The central government can give sovereign guarantee for private companies, if that particular private company engaged in Public-Private partnership.
The sovereign guarantee is normally extended to achieve the following objectives: -
Statement 2 is correct: State government PSUs or state government entities which have a sound financial background can raise loans from the foreign countries. The Union Cabinet in 2017 approved the policy guidelines to allow financially sound State Government entities to borrow directly from bilateral ODA (Official Development Assistance) partners for the implementation of vital infrastructure projects.
The guidelines will facilitate the State Government entities to directly borrow from the external bilateral funding agencies subject to fulfilment of certain conditions and all repayments of loans and interests to the funding agencies will be directly remitted by the concerned borrower. The concerned State Government will furnish a guarantee for the Loan. The Government of India will provide a counter-guarantee for the loan.
Statement 3 is correct: Article 292 of the Constitution of India extends the executive power of the Union to the giving of guarantees on the security of the Consolidated Fund of India, within such limits as may be fixed by Parliament. The Central government can borrow either within India or outside upon the security of the Consolidated Fund of India or can give guarantees, but both within the limits fixed by the Parliament. So far, no such law has been enacted by the Parliament.
Article 293 provides that the legislature of a State can fix limits on borrowing by a State as well as limits on guarantees to be given by it.
व्याख्या:
कथन 1 गलत है: संप्रभु गारंटी सरकार द्वारा डिफ़ॉल्ट के मामले में तीसरे व्यक्ति के दायित्व का निर्वहन करने का एक वचन है।डिफ़ॉल्ट के मामले में भारत सरकार का गारंटी कवर केवल मूलधन और सामान्य ब्याज के भुगतान तक सीमित होता है।यह किसी भी दंड ऋण / किसी अन्य शुल्क का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं है।केंद्र सरकार निजी कंपनियों के लिए संप्रभु गारंटी दे सकती है,यदि वह निजी कंपनी, सार्वजनिक-निजी भागीदारी (Public Private Partnership-PPP) में संलग्न हो।
संप्रभु गारंटी सामान्य रूप से निम्नलिखित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए प्रदान की जाती है:-
कथन 2 सही है: राज्य सरकार के सार्वजनिक उपक्रम अथवा संस्थाएँ जिनकी वित्तीय पृष्ठभूमि अच्छी है,विदेश से ऋण ले सकते हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2017 में नीतिगत दिशानिर्देश जारी किए हैं जिनके अंतर्गत राज्य सरकार की संस्थाओं को महत्त्वपूर्ण आधारभूत संरचना परियोजनाओं के क्रियान्वयन हेतु द्विपक्षीय आधिकारिक विकास सहायता (Official Development Assistance-ODA) भागीदारों से सीधे ऋण लेने की अनुमति दी गयी है।
ये दिशानिर्देश राज्य सरकार की संस्थाओं को कुछ शर्तों के अधीन बाहरी द्विपक्षीय वित्त पोषण एजेंसियों से सीधे ऋण लेने की सुविधा प्रदान करेंगे तथा वित्तपोषण एजेंसियों को ऋण और ब्याज का पुनर्भुगतान सीधे संबंधित उधारकर्त्ता द्वारा किया जाएगा। संबंधित राज्य सरकार ऋण के लिए गारंटी प्रदान करेगी, एवं भारत सरकार ऋण के लिए काउंटर-गारंटी प्रदान करेगी।
कथन 3 सही है: भारत के संविधान का अनुच्छेद 292 संघ की कार्यकारी शक्ति का विस्तार भारत की संचित निधि के आधार पर गारंटी प्रदान करने हेतु करता है, जिसकी सीमा संसद द्वारा तय की जा सकती है। केंद्र सरकार भारत की संचित निधि के आधार पर भारत के भीतर या बाहर ऋण ले सकती है, अथवा गारंटी प्रदान कर सकती है, परंतु संसद द्वारा तय सीमा के भीतर। अब तक, संसद द्वारा ऐसा कोई कानून नहीं बनाया गया है।
अनुच्छेद 293 में यह प्रावधान है कि किसी राज्य की विधायिका उसके द्वारा ऋण लेने की सीमा तय कर सकती है और साथ ही उसके द्वारा दी जाने वाली गारंटी की सीमा भी तय कर सकती है।