Q. Consider the following statements with reference to ‘Development Monitoring and Evaluation Office’ (DMEO):
Which of the statements given above are correct?
Q. 'विकास निगरानी और मूल्यांकन कार्यालय' (DMEO) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
उपर्युक्त कथनों में से कौन से सही हैं?
Explanation:
Development Monitoring and Evaluation Office (DMEO) is the apex monitoring and evaluation (M&E) office in India. It supports the Government to achieve the national development agenda through M&E of government policies and programs.
Statement 1 is incorrect: It is an attached office (not a statutory body) to NITI Aayog. It is headed by the Director-General. Evaluation work takes place under the overall supervision of the vice-chairman of NITI Aayog.
Statement 2 is correct: DMEO undertakes evaluation of selected programmes/schemes, suo-moto or on the request of the Prime Minister’s Office (PMO) or programme implementing Ministries/ Departments of the Government of India.
Statement 3 is correct: DMEO has advisory powers across the Ministries and Departments of the Union Government, and is one of the few institutions within the government to provide a cross- and inter-ministerial perspective. Its mandate also expands to technical advisory to States, under NITI Aayog’s mandate of cooperative and competitive federalism.
व्याख्या:
विकास निगरानी और मूल्यांकन कार्यालय (DMEO), भारत में शीर्ष निगरानी और मूल्यांकन (M&E) कार्यालय है। यह सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों के निगरानी एवं मूल्यांकन (M&E) के माध्यम से राष्ट्रीय विकास एजेंडा को प्राप्त करने में सरकार का सहयोग करता है।
कथन 1 गलत है: यह नीति आयोग से संबद्ध कार्यालय (सांविधिक निकाय नहीं) है। इसकी अध्यक्षता महानिदेशक करते हैं। मूल्यांकन कार्य नीति आयोग के उपाध्यक्ष की समग्र निगरानी में संपन्न होता है।
कथन 2 सही है: DMEO चयनित कार्यक्रमों/योजनाओं का स्वतः संज्ञान से या प्रधान मंत्री कार्यालय (PMO) या कार्यक्रमों को लागू करने वाले भारत सरकार के मंत्रालयों/विभागों के अनुरोध पर मूल्यांकन करता है।
कथन 3 सही है: DMEO के पास केंद्र सरकार के मंत्रालयों और विभागों में सलाहकार शक्तियां हैं, तथा यह सरकार के भीतर कुछ संस्थानों में से एक है जो एक एक से दूसरे मंत्रालय को और अंतर-मंत्रालयी दृष्टिकोण प्रदान करता है। इसका कार्य नीति आयोग की सहकारी और प्रतिस्पर्धी संघवाद की जिम्मेदारी के तहत राज्यों को तकनीकी सलाह देने के लिए भी विस्तारित है।