The correct option is B
2 only
केवल 2
Explanation:
POSHAN Abhiyaan or National Nutrition Mission, launched in 2018 is Government of India's flagship programme to improve nutritional outcomes for children, pregnant women and lactating mothers.
Statement 1 is incorrect: Under the National Nutrition Mission (NNM), there is a provision for setting up a National Council on India’s Nutritional Challenges under the Chairmanship of Vice-Chairman NITI Aayog (not Prime Minister). The Mission is to submit a report to the Prime Minister every six months.
Statement 2 is correct Ministry of Women and Child Development along with Bill & Melinda Gates Foundation (BMGF) announced the Bharatiya Poshan Krishi Kosh (BPKK), which has two components – Development of a Food Atlas and Documentation of promising practices for Jan-Andolan for POSHAN Abhiyaan. The Agro-Food Atlas is to act as a repository of diverse crops across 127 agro-climatic zones of the country having three parts- crops currently being grown, agro-ecological conditions (soil, organic carbon content, ground water availability etc.) and guidance on how a greater diversity of crops could be encouraged in a particular district or block to promote dietary diversity and nutrition.
व्याख्या:
2018 में शुरू की गई पोषन अभियान या राष्ट्रीय पोषण मिशन, बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए पोषण परिणामों में सुधार करने हेतु भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है।
कथन 1 गलत है: राष्ट्रीय पोषण मिशन (एनएनएम) के तहत, नीति आयोग के उपाध्यक्ष (प्रधानमंत्री नहीं) की अध्यक्षता में भारत के पोषण संबंधी चुनौतियों पर एक राष्ट्रीय परिषद स्थापित करने का प्रावधान है। मिशन को हर छह महीने में प्रधानमंत्री को एक रिपोर्ट सौंपना होता है।
कथन 2 सही है : बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (BMGF) के साथ-साथ महिला और बाल विकास मंत्रालय ने भारतीय पोषण कृषि कोष (BPKK) की घोषणा की, जिसमें दो घटक हैं -
एक खाद्य एटलस का विकास एवं
जन-आंदोलन के लिए आशाजनक प्रणाली (promising practices) का दस्तावेजीकरण ।
कृषि-खाद्य एटलस देश के 127 कृषि-जलवायु क्षेत्रों में विविध फसलों के भंडार के रूप में कार्य करने के लिए है, जिसमें तीन भाग हैं - वर्तमान में उगाई जा रही फसलें, कृषि-पारिस्थितिक स्थिति (मिट्टी, जैविक कार्बन सामग्री, भूजल उपलब्धता आदि)। आहार विविधता और पोषण को बढ़ावा देने हेतु किसी विशेष जिले या ब्लॉक में फसलों की अधिक विविधता को प्रोत्साहित करने के माध्यम पर मार्गदर्शन।