Q. Consider the following statements with reference to the committees on poverty estimation in India:
Which of the statements given above is/are correct?
Q. भारत में गरीबी आकलन संबंधी समितियों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Explanation:
Poverty is defined as a circumstance in which a person is unable to meet his or her basic needs of food, clothing, and shelter on a daily basis. The government has organised many committees to define the nature and implications of poverty in India, as a result of the country's heated debate over what constitutes poverty.
Statement 1 is correct: The Alagh Committee - In 1979, a task team established by the Planning Commission with the goal of estimating poverty, chaired by YK Alagh, developed a poverty line for rural and urban areas based on dietary requirements.
Statement 2 is incorrect: Lakdawala Committee (1993), chaired by DT Lakdawala, was formed to study poverty estimatation methods in 1993 and issued the following recommendations:
(i) calorie consumption should be used to calculate consumption expenditure;
(ii) state-specific poverty lines should be constructed and updated using the Consumer Price Index of Industrial Workers (CPI-IW) in urban areas and the Consumer Price Index of Agricultural Labour (CPI-AL) in rural areas; and
(iii)'scaling' of poverty estimates based on National Accounts Statistics should be discontinued.
Statement 3 is incorrect: The Tendulkar Committee (2009) proposed four major changes:
व्याख्या:
गरीबी को एक ऐसी स्थिति के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसमें व्यक्ति दैनिक आधार पर भोजन, वस्त्र और आश्रय की अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में असमर्थ होता है। देश में गरीबी के कारणों पर गरमागरम बहस के परिणामस्वरुप सरकार ने भारत में गरीबी की प्रकृति और निहितार्थ को परिभाषित करने के लिए कई समितियों का गठन किया है।
कथन 1 सही है: अलघ समिति - 1979 में, योजना आयोग द्वारा गरीबी के आकलन के लक्ष्य के साथ वाई.के.अलघ की अध्यक्षता में गठित कार्य दल ने आहार आवश्यकताओं के आधार पर ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए एक गरीबी रेखा का निर्धारण किया।
कथन 2 गलत है: लकड़ावाला समिति (1993), जिसकी अध्यक्षता डी. टी. लकड़ावाला ने की थी, का गठन 1993 में गरीबी आकलन की पद्धतियों का अध्ययन करने के लिए किया गया था। इसने निम्नलिखित सिफारिशें की थीं:
(i) खपत व्यय की गणना के लिए कैलोरी खपत का उपयोग किया जाना चाहिए |
(ii) शहरी क्षेत्रों में औद्योगिक श्रमिकों के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI-IW) और ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि श्रम के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI-IL) का उपयोग करके राज्य-विशिष्ट गरीबी रेखा का निर्माण और अद्यतन किया जाना चाहिए।
(iii) राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी के आधार पर गरीबी अनुमानों की 'स्केलिंग' बंद कर दी जानी चाहिए।
कथन 3 गलत है: तेंदुलकर समिति (2009) ने चार बड़े बदलाव प्रस्तावित किए थे: