Q. Consider the following statements with reference to the Fundamental Rights enshrine in the Indian Constitution:
Which of the statements given above is/are correct?
Q. भारतीय संविधान में निहित मौलिक अधिकारों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Explanation:
Statement 1 is incorrect: The Fundamental Rights are enshrined in Part III of the Constitution from Articles 12 to 35. The present position is that the Parliament under Article 368 can amend any part of the Constitution including the Fundamental Rights but without affecting the ‘basic structure’ of the Constitution. However, the Supreme Court is yet to define or clarify as to what constitutes the ‘basic structure’ of the Constitution.
Statement 2 is correct: Article 33 empowers the Parliament to restrict or abrogate the fundamental rights of the members of armed forces, paramilitary forces, police forces, intelligence agencies and analogous forces. The objective of this provision is to ensure the proper discharge of their duties and the maintenance of discipline among them. The power to make laws under Article 33 is conferred only on Parliament and not on state legislatures. Any such law made by Parliament cannot be challenged in any court on the ground of contravention of any of the fundamental rights. Accordingly, the Parliament has enacted the Army Act (1950), the Navy Act (1950), the Air Force Act (1950), the Police Forces (Restriction of Rights) Act, 1966, the Border Security Force Act and so on.
व्याख्या:
कथन 1 गलत है: मौलिक अधिकार संविधान के भाग III में अनुच्छेद 12 से 35 तक प्रतिष्ठापित हैं। वर्तमान स्थिति यह है कि संसद संविधान के 'मूल संरचना' को प्रभावित किए बिना अनुच्छेद 368 के तहत मौलिक अधिकारों सहित संविधान के किसी भी भाग में संशोधन कर सकती है। हालाँकि, सर्वोच्च न्यायालय ने अभी तक यह परिभाषित या स्पष्ट नहीं किया है कि संविधान की 'मूल संरचना' क्या है।
कथन 2 सही है: अनुच्छेद 33 संसद को सशस्त्र बलों, अर्धसैनिक बलों, पुलिस बलों, खुफिया एजेंसियों और समान बलों के सदस्यों के मौलिक अधिकारों को प्रतिबंधित या निरस्त करने का अधिकार देता है। इस प्रावधान का उद्देश्य उनके कर्तव्यों का उचित निर्वहन और उनमें अनुशासन बनाए रखना सुनिश्चित करना है। अनुच्छेद 33 के तहत कानून बनाने की शक्ति केवल संसद को प्रदान की गई है, न कि राज्य विधानसभाओं को। संसद द्वारा बनाए गए ऐसे किसी भी कानून को मौलिक अधिकार के उल्लंघन के आधार पर किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती है। तदनुसार, संसद ने सेना अधिनियम (1950), नौसेना अधिनियम (1950), वायु सेना अधिनियम (1950), पुलिस बल (अधिकारों का प्रतिबंध) अधिनियम, 1966, सीमा सुरक्षा बल अधिनियम आदि को अधिनियमित किया है।