Q. Consider the following statements with reference to the roles played by the Directive Principles of State Policy:
Which of the statements given above are correct?
Q. राज्य के नीति निदेशक तत्वों द्वारा निभाई गई भूमिकाओं के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
Explanation:
Though the Directive Principles of State Policy (DPSP) are non-justiciable, they have great value because they lay down the goal of the Indian polity i.e., ‘economic democracy’. Hence, although the DPSP confers no legal rights and creates no legal remedies, they are significant in many ways.
Statement 1 is correct: The directions to the state under DPSP remain unchanged (unless any directive is amended) irrespective of the changes to the party in power. This facilitates stability and continuity in domestic (under Art. 38, 39, etc) and foreign policies (under Art. 51) in political, economic and social spheres.
Statement 2 is incorrect: They enable the opposition to exercise influence and control over the operations of the government. The Opposition can blame the ruling party on the ground that its activities are opposed to the Directives. However, they do not provide any authorization for the parliament to control the functioning or operations of the government using these principles.
Statement 3 is correct: They are supplementary to the fundamental rights of the citizens. They are intended to fill in the vacuum in Part III by providing for social and economic rights.
Other roles played by the Directive Principles are:
व्याख्या:
हालांकि राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत (DPSP) न्यायालय में प्रवर्तनीय नहीं हैं, तथापि इनका अत्यधिक महत्व है, क्योंकि ये भारतीय राजव्यवस्था के लक्ष्य अर्थात 'आर्थिक लोकतंत्र' को निर्धारित करते हैं। अतः, हालांकि राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत कोई कानूनी अधिकार प्रदान नहीं करते हैं और न ही कोई कानूनी निवारण प्रदान करते हैं, तथापि ये कई मायनों में महत्वपूर्ण हैं।
कथन 1 सही है: DPSP के तहत राज्य को दिए गए निर्देश अपरिवर्तित रहते हैं (जब तक कि कोई निर्देश संशोधित नहीं किया जाता है) भले ही सत्ता में परिवर्तन हो जाए। यह राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में घरेलू (अनुच्छेद 38, 39, के तहत) और विदेश नीतियों (अनुच्छेद 51 के तहत) में स्थायित्व और निरंतरता को बनाए रखते है।
कथन 2 गलत है: ये विपक्ष द्वारा सरकार पर नियंत्रण को संभव बनाते हैं। विपक्ष सत्तारूढ़ दल पर निदेशक तत्वों का विरोध एवं इसके कार्यकलापों के आधार पर आरोप लगा सकता है हालांकि, ये इन सिद्धांतों का उपयोग करते हुए सरकार के कामकाज/संचालन को नियंत्रित करने के लिए संसद को कोई अधिकार नहीं देते हैं।
कथन 3 सही है: ये नागरिकों के मौलिक अधिकारों के पूरक हैं। ये भाग तीन में सामाजिक और आर्थिक अधिकार प्रदान करके रिक्तता को पूरा करते है।
निदेशक सिद्धांतों द्वारा निभाई गई अन्य भूमिका निम्न हैं: