Q. Consider the following statements with respect to Kathakali Dance:
Which of the statements given above is/are correct?
Q. कथकली नृत्य के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
Explanation:
Kathakali, as a dance form popular today, is considered to be of comparatively recent origin. However, it is an art which has evolved from many social and religious theatrical forms which existed in south India in ancient times. Chakiarkoothu, Koodiyattam, Krishnattam and Ramanattam are few of the ritual performing arts of Kerala which have had a direct influence on Kathakali in its form and technique.
Statement 1 is correct: Kathakali was traditionally a male-dominated dance. Later on, females also participated in this dance form.
Statement 2 is correct: Movements in Kathakali are influenced by ancient martial arts and athletic tradition. Several body movements and choreographic patterns are influenced by the ancient martial arts of Kerala. Kalaripayattu, a martial art from Kerala has a great influence on Kathakali movements.
Statement 3 is incorrect: Manduka Shabdam(story of frog), Tarangam(feet on the edge of a brass plate), Jala Chitra Nrityam(draws pictures on a floor with his or her toes while dancing) are solo elements in Kuchipudi.
व्याख्या:
कथकली, जिस नृत्य रूप में आज लोकप्रिय है, उसे तुलनात्मक रूप से हाल की उत्पत्ति माना जाता है। हालाँकि, यह एक ऐसी कला है जो कई उन सामाजिक और धार्मिक नाटकीय रूपों से विकसित हुई है जो प्राचीन काल में दक्षिण भारत में मौजूद थे। चौकीरकुट्टू, कूदीयाट्टम, कृष्णट्टम और रामानट्टम केरल की कुछ अनुष्ठानिक कलाएँ हैं जिनका कथकली पर सीधा प्रभाव पड़ा है।
कथन 1 सही है: कथकली पारंपरिक रूप से एक पुरुष-प्रधान नृत्य था। बाद में, महिलाओं ने भी इस नृत्य रूप में भाग लेना प्रारंभ कर दिया।
कथन 2 सही है: कथकली की मुद्राएँ प्राचीन मार्शल आर्ट और एथलेटिक परंपरा से प्रभावित हैं। कई शारीरिक मुद्राएँ और नृत्य का तरीका केरल की प्राचीन मार्शल आर्ट से प्रभावित है। केरल की एक मार्शल आर्ट कलारीपयट्टू का कथकली की मुद्राओं पर व्यापक प्रभाव है।
कथन 3 गलत है: मंडुक शब्दम (मेंढक की कथा), तरंगम (पीतल की थाली के किनारे पर पैर), जल चित्र नृत्यम (नृत्य करते समय पैर की उंगलियों से फर्श पर चित्र बनाना) कुचीपुड़ी के एकल तत्व हैं।