Q. Consider the following statements with respect to the economic critique of the British rule in India:
Which of the statements given above is/are correct?
Q. भारत में ब्रिटिश शासन की आर्थिक आलोचना के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
Explanation: The moderate nationalists analysed the character of the British Colonial rule in India. The economic critique of Colonialism was one of their major achievements and contributions to the cause of India’s freedom struggle.
Statement 1 is incorrect: Romesh Chandra Dutt wrote the book, The Economic History of India in the early 20th century. It examined the details of the entire economic record of colonial rule since 1757 (and not just from 1857).
Statement 2 is correct: Dadabhai Naoroji put forward his ‘Drain Theory’ in 1867, according to which the drain of wealth from India was the basic cause of India's poverty. This he highlighted as the fundamental evil of British rule in India.
व्याख्या: उदारवादी राष्ट्रवादियों ने भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन की प्रकृति का विश्लेषण किया। उपनिवेशवाद की आर्थिक आलोचना भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनकी प्रमुख उपलब्धियों और योगदान में से एक थी।
कथन 1 गलत है: रमेश चंद्र दत्त ने 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में द इकोनॉमिक हिस्ट्री ऑफ इंडिया नामक पुस्तक लिखी थी। इसमें 1757 से (1857 से नहीं) औपनिवेशिक शासन के संपूर्ण आर्थिक अभिलेख से संबंधित विवरणों का परीक्षण किया गया था।
कथन 2 सही है: दादाभाई नौरोजी ने 1867 में अपना 'बहिर्गमन सिद्धांत' प्रस्तुत किया, जिसके अनुसार भारत से हो रही धन की निकासी देश की गरीबी का मूल कारण थी। इसे उन्होंने भारत में ब्रिटिश शासन की मूलभूत बुराई की संज्ञा दी थी।