Q. Consider the following statements with respect to the social-religious movements during the British rule in India:
Which of the statements given above is/are correct?
Q. भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान सामाजिक-धार्मिक आंदोलनों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
Explanation: The social and religious reform movements arose among all communities of the Indian people. They attacked bigotry, superstition and the hold of the priestly class. They worked for abolition of castes and untouchability, purdahsystem, sati, child marriage, social inequalities and illiteracy.
Statement 1 is correct: The British conquest led to the dissemination of colonial culture and ideology. It resulted in an inevitable introspection about the strengths and weaknesses of indigenous culture and institutions.
Statement 2 is incorrect: Religious reformation was a major concern of the reform movements during the nineteenth century. None of them was exclusively religious in nature. Humanism and worldly existence was the focus of their attention. And not just religion. All these movements laid stress on rational understanding of social and religious ideas and encouraged a scientific and humanitarian outlook.
Statement 3 is incorrect: The reform movements did not totally reject tradition. In that case, the society would have undergone westernisation. The reformers aimed at modernization instead of westernisation. A blind imitation of western culture was not an integral part of the reforms. The reformers felt that modern ideas and culture could be best imbibed by integrating them into Indian cultural streams. The introduction of modern education guided the Indians towards a scientific and rational approach to life. All the movements worked to improve women’s status and criticised the caste system, especially the practice of untouchability. These movements looked for social unity and strived towards liberty, equality and fraternity.
व्याख्या: सामाजिक और धार्मिक सुधार आंदोलनों का उदय भारत के सभी समुदाय के लोगों के बीच हुआ। उन्होंने कट्टरता, अंधविश्वास और पुरोहित वर्ग के प्रभुत्व पर हमला किया। उन्होंने जातियों और अस्पृश्यता, पर्दा प्रथा, सती प्रथा, बाल विवाह, सामाजिक असमानताओं एवं निरक्षरता के उन्मूलन की दिशा में प्रयास किया।
कथन 1 सही है: अंग्रेजों के आधिपत्य के कारण औपनिवेशिक संस्कृति और विचारधारा का प्रसार हुआ। इसने स्वदेशी संस्कृति एवं संस्थानों की शक्ति और कमजोरियों का आत्मनिरीक्षण अपरिहार्य कर दिया।
कथन 2 गलत है: धार्मिक सुधार उन्नीसवीं शताब्दी के दौरान शुरू हुए सुधार आंदोलनों का प्रमुख मुद्दा था। उनमें से किसी की भी प्रकृति विशेष रूप से धार्मिक नहीं थी। उनका मूल तत्व मात्र धर्म न होकर मानवतावाद और सांसारिक अस्तित्व था। इन सभी आंदोलनों ने सामाजिक और धार्मिक विचारों की तर्कसंगत समझ पर जोर दिया तथा वैज्ञानिक एवं मानवीय दृष्टिकोण को प्रोत्साहित किया।
कथन 3 गलत है: सुधार आंदोलनों ने परंपराओं को पूरी तरह से खारिज नहीं किया। क्योंकि ऐसी स्थिति में, समाज का पश्चिमीकरण हो गया होता। सुधारकों का उद्देश्य पश्चिमीकरण के बजाय आधुनिकीकरण करना था। पश्चिमी संस्कृति की अंधी नकल सुधारों का अभिन्न अंग नहीं थी। सुधारकों का मानना था कि आधुनिक विचारों और संस्कृति को भारत की सांस्कृतिक धाराओं के साथ एकीकृत करके सर्वोत्तम रूप से आत्मसात किया जा सकता है। आधुनिक शिक्षा की शुरुआत ने भारतीयों को जीवन के एक वैज्ञानिक और तर्कसंगत दृष्टिकोण की ओर निर्देशित किया। सभी आंदोलनों में महिलाओं की स्थिति में सुधार के प्रयास किए गए और जाति व्यवस्था, विशेष रूप से अस्पृश्यता की आलोचना की गई। इन आंदोलनों में सामाजिक एकता बनाए रखने पर जोर दिया गया एवं स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया।