Q. Consider the following statements with respect to the third Anglo-Mysore war:
Which of the statements given above are correct?
Q. तृतीय आंग्ल-मैसूर युद्ध के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
उपर्युक्त कथनों में से कौन से सही हैं?
Explanation: The third Anglo-Mysore war (1790-1792), was fought between Tipu Sultan and the British.
Statement 1 is incorrect: Marathas helped the British during the Third Anglo-Mysore War. Tipu had planned to take vengeance from the Nizam of Hyderabad and Marathas for their betrayal during the Second Anglo-Mysore War.
Statement 2 is correct: After the war (and Tipu’s defeat), the British secured a large territory on the Malabar Coast. They also obtained Baramahal district and Dindigul. The strength of Mysore was reduced after this war.
Statement 3 is correct: Two of the chief causes of the Third Anglo-Mysore War was the strengthened position of Tipu which worried the Marathas and the Nizam of Hyderabad and the attempt of Tipu to seek help from France and Turkey by sending his envoys.
Statement 4 is correct: The British captured and seized the hill forts near Srirangapattinam in February 1792. Following that Tipu concluded the Treaty of Srirangapattinam with the British and the war ended.
व्याख्या: तृतीय आंग्ल-मैसूर युद्ध (1790-1792), टीपू सुल्तान और अंग्रेजों के बीच लड़ा गया था।
कथन 1 गलत है: मराठों ने तृतीय आंग्ल-मैसूर युद्ध के दौरान अंग्रेजों की सहायता की। टीपू ने द्वितीय आंग्ल-मैसूर युद्ध के दौरान हैदराबाद के निज़ाम और मराठों द्वारा किए गए विश्वासघात का प्रतिशोध लेने की योजना बनाई थी।
कथन 2 सही है: युद्ध (और टीपू की हार) के बाद, अंग्रेजों ने मालाबार तट पर एक बड़े क्षेत्र पर अधिकार कर लिया। उन्हें बारामहल जिला और डिंडीगुल प्राप्त हुआ। इस युद्ध के बाद मैसूर की शक्ति क्षीण हो गई थी।
कथन 3 सही है: तीसरे आंग्ल-मैसूर युद्ध के दो प्रमुख कारण थे, टीपू की स्थिति मजबूत थी जिसने मराठों और हैदराबाद के निजाम को चिंतित कर दिया तथा उसने अपने दूतों को भेजकर फ्रांस और तुर्की से मदद लेने का प्रयास किया।
कथन 4 सही है: अंग्रेजों ने फरवरी 1792 में श्रीरंगपट्टनम के पास पहाड़ी किलों को अधिकृत कर छीन लिया। उसके पश्चात् टीपू ने अंग्रेजों के साथ श्रीरंगपट्टनम की संधि की और युद्ध समाप्त हो गया।