Q. “He was a journalist and a leader of the Brahmo Samaj. He significantly contributed to the Swadeshi Movement through his journal ‘Sanjibani’. The idea of boycott of foreign goods during the Swadeshi movement was suggested by him.”
Who among the following is referred to in the above passage?
Q. "वह एक पत्रकार और ब्रह्म समाज के एक नेता थे। उन्होंने अपनी पत्रिका 'संजीबनी' के माध्यम से स्वदेशी आंदोलन में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। स्वदेशी आंदोलन के दौरान विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार का विचार उनके द्वारा दिया गया था। ”
उपर्युक्त परिच्छेद में निम्नलिखित में से किसे संदर्भित किया गया है?
Explanation:
Option (a) is incorrect: Aurobindo Ghosh contributed to the swadeshi movement mainly by popularising the demand of Swaraj. He was also the editor of Bande Mataram and through his editorials encouraged strikes, national education etc in the spirit of the Swadeshi Movement.
Option (b) is incorrect: Ashwini Kumar Dutta mainly contributed to the Swadeshi movement through setting up Swadesh Bandhab Samitis. These samitis took up various constructive programmes. He was not associated with the journal Sanjibani.
Option (c) is incorrect: Brahmabandhab Upadhyay popularised swaraj and the Swadeshi Movement through his newspaper Sandhya and Yugantar (brought out by a group associated with Barindra Kumar Ghosh).
Option (d) is correct: Krishna Kumar Mitra was a freedom fighter of India, journalist and leader of the Brahmo Samaj. He was elected President of the Sadharan Brahmo Samaj in 1918. He started a Bengali journal Sanjibani in 1883. It is through Sanjibani he tried to raise public opinion against the Bengal partition and openly called for the boycott of foreign goods. The idea of Boycott of foreign goods during the swadeshi movement was suggested by Krishna Kumar Mitra through his journal Sanjibani.
व्याख्या:
विकल्प (a) गलत है: अरबिंदो घोष ने स्वराज की मांग को लोकप्रिय बनाकर मुख्य रूप से स्वदेशी आंदोलन में योगदान दिया। वह बंदे मातरम के संपादक भी थे और उन्होंने अपने संपादकीय के माध्यम से स्वदेशी आंदोलन की भावना में हड़ताल, राष्ट्रीय शिक्षा आदि को प्रोत्साहित किया।
विकल्प (b) गलत है: अश्विनी कुमार दत्ता ने मुख्य रूप से स्वदेश बांधव समिति की स्थापना के माध्यम से स्वदेशी आंदोलन में योगदान दिया। इन समितियों ने विभिन्न रचनात्मक कार्यक्रम चलाए। वह संजीबनी पत्रिका से संबंधित नहीं थे।
विकल्प (c) गलत है: ब्रह्मबान्धब उपाध्याय ने स्वराज और स्वदेशी आंदोलन को अपने अखबार संध्या और युगांतर (बारीन्द्र कुमार घोष से जुड़े एक समूह द्वारा) के माध्यम से लोकप्रिय बनाया।
विकल्प (d) सही है: कृष्ण कुमार मित्रा भारत के स्वतंत्रता सेनानी, पत्रकार और ब्रह्म समाज के नेता थे। उन्हें 1918 में साधारण ब्रह्म समाज का अध्यक्ष चुना गया। उन्होंने 1883 में एक बंगाली पत्रिका संजीबनी की शुरुआत की। संजीबनी के माध्यम से उन्होंने बंगाल विभाजन के खिलाफ जनता की राय जुटाने और खुले तौर पर विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार का आह्वान किया। स्वदेशी आंदोलन के दौरान विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार का विचार कृष्ण कुमार मित्रा ने अपनी पत्रिका संजीबनी के माध्यम से सुझाया था।