The correct option is A
It was an experiment aimed at increasing Carbon Dioxide sequestration through ocean iron fertilisation as part of studies on global warming mitigation.
यह वैश्विक तापन शमन पर अध्ययन के एक हिस्से के रूप में महासागरीय लौह के उर्वरण के माध्यम से कार्बन डाइऑक्साइड संचयन को बढ़ाने के लिए एक प्रयोग था।
LOHAFEX (Loha means iron in Hindi while Fex is an acronym for fertilisation) experiment in the Southern Ocean, Antarctica, was aimed at increasing Carbon Dioxide sequestration through ocean iron fertilisation as part of studies on global warming mitigation. The Council of Scientific Industrial Research (CSIR), India, and Helmholtz Foundation, Germany jointly planned LOHAFEX
Among the three new LOHAFEX clusters that were discovered, the first was related to a class of Bacteroidetes while the second and third belonged to Firmicutes. The experiment was carried out in waters low in silicic acid which was likely to affect sequestration efficacy. A 900 square kilometres (350 sq mi) portion of the southwest Atlantic was fertilized with iron sulfate. A large phytoplankton bloom was triggered. This bloom did not contain diatoms because the site was depleted in silicic acid, an essential nutrient for diatom growth. Diatoms are a major group of microalgae and are among the most common types of phytoplankton.
Desolate Zone: Areas apparently rich in nutrients, but lacking in plankton activity or other sea life) might be iron-deficient. These “desolate” regions came to be called “High Nutrient, Low Chlorophyll” (HNLC) zones.
Iron Fertilization: Stimulation of phytoplankton production through the intentional introduction of iron fines to iron-poor areas of the ocean surface is called Iron Fertilization. This is intended at accelerating the carbon dioxide (CO2) sequestration from the atmosphere and enhancing the biological productivity.
LOHAFEX (LOHA अर्थात आयरन और FEX, fertilisation का संक्षिप्त रूप है) एक प्रयोग था जिसे दक्षिणी महासागर (अंटार्कटिका) में वैश्विक तापन शमन पर अध्ययन के एक हिस्से के रूप में महासागरीय लौह के उर्वरण के माध्यम से कार्बन डाइऑक्साइड संचयन को बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया था।काउंसिल ऑफ साइंटिफिक इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR), इंडिया और हेल्महोल्ट्ज़ फाउंडेशन, जर्मनी ने संयुक्त रूप से LOHAFEX को आयोजित किया।खोजे गए तीन नए LOHAFEX समूहों में, पहला बैक्टेरॉइडेट्स से जबकि दूसरा और तीसरा फर्मिक्यूट्स से संबंधित था।प्रयोग कम सिलिकिक एसिड वाले पानी में किया गया था जिससे संचयन प्रभावकारिता प्रभावित होने की संभावना थी।दक्षिण पश्चिम अटलांटिक के 900 वर्ग किलोमीटर (350 वर्ग मील) हिस्से को लोहे के सल्फेट से उर्वरित किया गया था।एक बड़े फाइटोप्लांकटन ब्लूम को ट्रिगर किया गया।इस ब्लूम में डायटम नहीं थे क्योंकि यह स्थल सिलिकिक एसिड को अवशोषित कर चुका था, जो डायटम विकास के लिए एक आवश्यक पोषक तत्व है।डायटम माइक्रोएल्गे का एक प्रमुख समूह है और फाइटोप्लांकटन के सबसे सामान्य प्रकारों में से एक है।
निर्जन क्षेत्र: पोषक तत्वों से भरपूर क्षेत्र, परन्तु प्लैंकटन या अन्य समुद्री जीवन का अभाव।अतः लोहे की कमी हो सकती है।इन "निर्जन" क्षेत्रों को "उच्च पोषक तत्व, कम क्लोरोफिल" (HNLC) वाला क्षेत्र कहा जाता है।
लौह उर्वरण : समुद्र की सतह में लौह कमी वाले क्षेत्रों में लोहे को स्थापित करके फाइटोप्लांकटन उत्पादन को प्रेरित करने को लौह उर्वरण कहा जाता है।इसका उद्देश्य वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के उत्सर्जन में तेजी लाना और जैविक उत्पादकता को बढ़ाना है।