Q. जैनधर्म दर्शन के संदर्भ, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
A
केवल 1
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B
केवल 2
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C
1 और 2 दोनों
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D
न तो 1, न ही 2
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Solution
The correct option is B
केवल 2 व्याख्या:
जैनधर्म का मूल दर्शन वर्धमान (जिसे 6वीं शताब्दी में महावीर के नाम से जाना जाता था) के जन्म से पूर्व ही उत्तर भारत में अस्तित्व में था। जैन परंपरा के अनुसार, महावीर से पूर्व 23 अन्य शिक्षकों या तीर्थंकर (शाब्दिक रूप में वे लोग जो पुरुषों एवं महिलाओं का मोक्ष प्राप्ति हेतु मार्गदर्शन करते हैं) हुए थे।
जैन धर्म में सबसे महत्वपूर्ण विचार यह है कि संपूर्ण विश्व सजीव है: यहां तक कि पत्थरों, चट्टानों और जल में भी जीवन मौजूद है। जीवित प्राणियों, विशेषकर मनुष्यों, पशुओं, पौधों और कीड़ों को क्षतिग्रस्त न करना जैन दर्शन का प्रमुख उद्देश्य है। जैन धर्म की शिक्षाओं के अनुसार, जन्म और पुनर्जन्म का चक्र मनुष्य के कर्म पर आधारित है। कर्म के चक्र से स्वयं को मुक्त करने के लिए तपस्या और पश्चाताप की आवश्यकता होती है। संसार का त्याग करके ही इसे प्राप्त किया जा सकता है; अतः मोक्ष प्राप्ति हेतु संन्यासी का जीवन व्यतीत करना एक अत्यावश्यक शर्त है। जैन भिक्षुओं और भिक्षुणियों को पांच वचन दिए जाते थे: जीव हत्या, चोरी करने और झूठ बोलने से दूर रहना; ब्रह्मचर्य का पालन करना; संपत्ति रखने से बचना।