Q. निम्नलिखित में से किस रिट के अंतर्गत किसी निचली अदालत या अन्य प्राधिकरण के समक्ष पड़े लंबित मामले को उच्च प्राधिकरण या न्यायालय को स्थानांतरित करने का आदेश दिया जा सकता है?
A
परमादेश
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B
निषेधाज्ञा
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C
अधिकार पृच्छा
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D
उत्प्रेषण
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Solution
The correct option is D
उत्प्रेषण व्याख्या:
उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय आदेश जारी कर सरकार को अधिकारों के प्रवर्तन के लिए निर्देश दे सकते हैं। न्यायालयों द्वारा विशेषादेश जारी किए सकते हैं, जिन्हें रिट (writ) के रूप में जाना जाता है।
बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus): बंदी प्रत्यक्षीकरण के अंतर्गत न्यायालय गिरफ्तार किया गए व्यक्ति को अपने समक्ष प्रस्तुत करने का आदेश देती है। यदि न्यायालय को लगता है कि गिरफ्तार करने संबंधी कारण क़ानूनी रूप से सही नहीं है या असंतोषजनक है, तो व्यक्ति को मुक्त भी किया जा सकता है।
परमादेश (Mandamus): यह रिट तब जारी की जाती है जब न्यायालय को ज्ञात होता है कि किसी विशिष्ट अधिकारी द्वारा अपने वैधानिक दायित्वों का पालन नहीं किया जा रहा है तथा जिस कारण किसी अन्य व्यक्ति के अधिकार का उल्लंघन हो रहा है।
निषेधाज्ञा (Prohibition): यह रिट उच्च स्तरीय न्यायालय (उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय) द्वारा तब जारी की जाती है, जब निचली अदालत द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर किसी मामले की सुनवाई की जा रही हो।
अधिकार पृच्छा (Quo warranto): यदि न्यायालय को ज्ञात होता है कि कोई व्यक्ति किसी पद को प्राप्त करने का हकदार नहीं है, तब वह अधिकार पृच्छा रिट जारी कर उस व्यक्ति को पद धारण करने से रोकती है।
उत्प्रेषण (Certiorari): इस रिट के अंतर्गत न्यायालय, किसी निचली अदालत या अन्य प्राधिकरण के समक्ष पड़े लंबित मामलों को उसे स्थानांतरित करने का आदेश दे सकता है।