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Question

Q. Under which one of the following Satyagraha, Gandhiji admitted to have committed a “Himalayan miscalculation”?

Q. निम्न में से किस सत्याग्रह के तहत, गांधीजी ने "हिमालयी मिसकैलकुलेषन " करने के लिए स्वीकार किया था?

A

Rowlatt Satyagraha
रौलट सत्याग्रह
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B

Khilafat Satyagraha
खिलाफत सत्याग्रह
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C

Bardoli Satyagraha
बारदोली सत्याग्रह
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D

Nagpur Flag Satyagraha
नागपुर ध्वज सत्याग्रह
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Solution

The correct option is A
Rowlatt Satyagraha
रौलट सत्याग्रह
Explanation:
  • In the Rowlatt satyagraha of 1919 Gandhi sought to move to a campaign that proposed to involve the entire nation. The movement was aimed against the two bills prepared by a committee under Justice S.A.T. Rowlatt, to provide the government with additional coercive power to deal with terrorism.
  • Gandhi's initial programme was, however, modest: along with a few close associates he signed a Satyagraha pledge on 24 February to disobey this and similar other unjust laws. He decided to launch a nationwide movement, starting with a general strike on 6 April. But the movement soon lapsed into violence, particularly after Gandhi's arrest on 9 April.
  • By mid-April the Satyagraha had started losing momentum, forcing Gandhi to withdraw it.
  • An Article by Gandhi in April 1919 after the Satyagraha says- “Almost immediately after the Ahmedabad meeting I went to Nadiad. It was here that I first used the expression 'Himalayan miscalculation' which obtained such a wide currency afterwards…...But I have never regretted having made that confession. For I have always held that it is only when one sees one's own mistakes with a convex lens, and does just the reverse in the case of others, that one is able to arrive at a just relative estimate of the two. I further believe that a scrupulous and conscientious observance of this rule is necessary for one who wants to be a Satyagrahi.”
व्याख्या :

1919 के रौलट सत्याग्रह में गांधी ने एक ऐसे अभियान की ओर बढ़ने की कोशिश की जिसमें पूरे राष्ट्र को शामिल करने का प्रस्ताव रखा गया था।इस आंदोलन का उद्देश्य उन दो विधेयकों के खिलाफ था जो न्यायमूर्ति एस।ए।टी। रोलेट की कमेटी द्वारा आतंकवाद से निपटने के लिए सरकार पर अतिरिक्त बल देने की शक्ति प्रदान करना था ।गांधी का प्रारंभिक कार्यक्रम हालांकि, मामूली था: जिसमे कुछ करीबी सहयोगियों के साथ उन्होंने 24 फरवरी को इस और इसी तरह के अन्य अन्यायपूर्ण कानूनों की अवज्ञा करने के लिए एक सत्याग्रह प्रतिज्ञा पर हस्ताक्षर किए। उन्होंने 6 अप्रैल को एक आम हड़ताल के साथ इसके द्वारा एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू करने का फैसला किया। लेकिन यह आंदोलन जल्द ही हिंसा में बदल गया, खासकर 9 अप्रैल को गांधी की गिरफ्तारी के बाद।मध्य अप्रैल तक आते -आते सत्याग्रह की रफ़्तार धीमी पड़ गई थी , जिसे गांधी को मजबूरन वापस लेना पड़ा।सत्याग्रह के बाद अप्रैल 1919 में गांधी द्वारा लिखा एक मैं उन्होंने कहा की - “अहमदाबाद बैठक के तुरंत बाद मैं नडिया गया था। यह यहाँ पहली बार था कि मैंने 'हिमालयन मिसकैलकुलेषन' अभिव्यक्ति का इस्तेमाल किया,जिसका बाद में इतनी व्यापक चलन हुआ की …... लेकिन मुझे कभी इस बात का पछतावा नहीं हुआ । क्योंकि मैंने हमेशा यह माना है कि यह तभी होता है जब कोई व्यक्ति अपनी गलतियों का आकलन करता है तो वह उसेको उत्तल लेंस से देखता है, जबकि दूसरों के मामले में वह ठीक इसका उल्टा करता है,जबकि वह दोनों के सापेक्ष एक अनुमान पर पहुंचने में सक्षम है। मैं आगे यह भी मानता हूं कि जो व्यक्ति सत्याग्रही बनना चाहता है, उसके लिए इस नियम का गहन और कर्तव्यनिष्ठ पालन आवश्यक है। ''

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