Q. Which of the following are non-fundamental rights in the Indian Constitution?
Select the correct answer using the codes given below:
Q. निम्नलिखित में से कौन सा/से भारतीय संविधान में गैर-मौलिक अधिकार है/हैं?
निम्नलिखित कूट का प्रयोग का सही उत्तर का चयन कीजिए:
Explanation: Besides the Fundamental Rights included in Part III, there are certain other rights contained in other parts of the Constitution. These rights are known as constitutional rights or legal rights or non-fundamental rights. Even though the non-fundamental rights or constitutional rights are equally justiciable, they are different from the Fundamental Rights.
In case of a violation of a Fundamental Right, the aggrieved person can directly move the Supreme Court for its enforcement under Article 32, which is in itself a fundamental right. But, in case of a violation of the constitutional rights, the aggrieved person cannot avail this constitutional remedy. He can move to the High Court by an ordinary suit or under Article 226 (writ jurisdiction of the High Court).
Statement 1 is correct: No tax shall be levied or collected except by authority of law (Article 265 in Part XII). No person can be compelled to pay tax except by the authority of law.
Statement 2 is correct: Trade, commerce and intercourse throughout the territory of India shall be free (Article 301 in Part XIII). Citizens cannot be prohibited from conducting trade and commerce by any authority without a substantial reason.
Statement 3 is correct: The elections to the Lok Sabha and the State Legislative Assembly shall be based on adult suffrage (Article 326 in Part XV).
Statement 4 is incorrect: Article 23 prohibits traffic in human beings, begar (forced labour) and other similar forms of forced labour. Any contravention of this provision shall be an offence punishable in accordance with the law. This right is available to both citizens and non-citizens. It protects the individual not only against the State but also against private individuals. Article 23 is part of fundamental rights under Part-III.
व्याख्या: भाग III में शामिल मौलिक अधिकारों के अलावा, संविधान के अन्य भागों में भी निहित कुछ अन्य अधिकार हैं। इन अधिकारों को संवैधानिक अधिकारों या विधिक अधिकारों या गैर-मौलिक अधिकारों के रूप में जाना जाता है। यद्यपि गैर-मौलिक अधिकार या संवैधानिक अधिकार समान रूप से न्यायोचित हैं, लेकिन वे मौलिक अधिकारों से भिन्न हैं।
मौलिक अधिकार के उल्लंघन के मामले में, पीड़ित व्यक्ति अनुच्छेद 32 के तहत उनके प्रवर्तन के लिए सीधे सर्वोच्च न्यायालय का रुख कर सकता है, जो अपने आप में एक मौलिक अधिकार है। लेकिन, संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन के मामले में, पीड़ित व्यक्ति इस संवैधानिक उपचार का लाभ नहीं उठा सकता है। वह एक साधारण मुकदमे या अनुच्छेद 226 (उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र) के तहत उच्च न्यायालय का रुख कर सकता है।
कथन 1 सही है: विधि के प्राधिकार (भाग 26 में अनुच्छेद 265) के अलावा कोई कर नहीं लगाया जाएगा या एकत्रित किया जाएगा। विधि के प्राधिकार से परे किसी भी व्यक्ति को कर का भुगतान करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है।
कथन 2 सही है: भारत के संपूर्ण क्षेत्र में व्यापार, वाणिज्य और समागम निर्बाध (भाग XIII में अनुच्छेद 301) होंगे। पर्याप्त कारण के बिना किसी भी प्राधिकरण द्वारा नागरिकों को व्यापार और वाणिज्य का संचालन करने से प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है।
कथन 3 सही है: लोकसभा और राज्य विधानसभा के चुनाव वयस्क मताधिकार (भाग XV में अनुच्छेद 326) पर आधारित होंगे।
कथन 4 गलत है: अनुच्छेद 23 मानव तस्करी, बलात श्रम और बलात श्रम के अन्य समान रूपों का प्रतिषेध करता है। इस प्रावधान का किसी भी तरह का उल्लंघन कानून के अनुसार दंडनीय अपराध होगा। यह अधिकार नागरिकों और विदेशियों दोनों के लिए उपलब्ध है। यह न केवल राज्य के खिलाफ बल्कि निजी व्यक्तियों (private persons) के खिलाफ भी व्यक्ति की रक्षा करता है। अनुच्छेद 23 भाग- III के तहत मौलिक अधिकारों का भाग है।