Q. Which of the following can be considered as assets for the Reserve Bank of India (RBI)?
Select the correct answer using the codes given below:
Q. निम्नलिखित में से किसे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के लिए परिसंपत्ति के रूप में माना जा सकता है?
निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए:
Explanation:
An asset is something that can be used for economic benefits in the future. Liability on the other hand, constitutes obligation for payment, or which creates debts on a person or on an institution.
Point 1 is incorrect: The total liability of the monetary authority of the country (Reserve Bank of India) is called the monetary base or high-powered money. It consists of currency notes and coins in circulation with the public and vault cash of commercial banks. So, if a member of the public produces a currency note to the RBI, the latter must pay a value equal to the figure printed on the note. Hence, currency notes held by the public are the liability (not the assets) of the RBI.
Point 2 is correct: A negotiable instrument is one that gives the holder the right to receive stated fixed sums on demand or at a fixed or determinable future time. When the RBI negotiates a bill payable on demand (sight bill) and provides funds to the holder at a fee/interest, the facility is referred to as bill purchase. When the RBI negotiates a bill payable after a usance, i.e., at a fixed or determinable future time (usance bill) and provides funds to the holder, at a discount, the facility is referred to as bill discounting. In both these cases, the RBI is earning a share of income in the form of interest or discounts, hence it is added to the asset side of the RBI’s balance sheet.
Point 3 is correct: Ways and Means is a facility for both the Centre and States to borrow from the RBI under Section 17(5) of the RBI Act, 1934. The RBI earns interest on these loans, and hence this is added to the asset side of the RBI’s balance sheet.
Point 4 is incorrect: Repo transactions under the Liquidity Adjustment Facility (LAF) and Marginal Standing Facility (MSF) are treated as lending and are accordingly shown under ‘Loans and Advances’, whereas Reverse Repo transactions under LAF are treated as deposits. Hence, they are added to the liability side of the RBI’s balance sheet.
व्याख्या:
परिसंपत्ति एक ऐसी वस्तु है जिसका उपयोग भविष्य में आर्थिक लाभ के लिए किया जा सकता है। दूसरी ओर देयता, भुगतान या किसी व्यक्ति या संस्था पर ऋण दायित्व का गठन करता है।
बिंदु 1 गलत है: देश के मौद्रिक प्राधिकरण (भारतीय रिजर्व बैंक) की कुल देयता को मौद्रिक आधार या उच्च शक्ति मुद्रा कहा जाता है। इसमें मुद्रा नोट और सिक्के जो जनता अथवा वाणिज्यिक बैंकों के पास हो सकते हैं शामिल हैं। इसलिए यदि कोई व्यक्ति भारतीय रिजर्व बैंक को एक मुद्रा नोट प्रस्तुत करता है, तो भारतीय रिजर्व बैंक को नोट पर छपी कीमत के बराबर मूल्य का भुगतान करना होगा। इसलिए, जनता के पास रखे मुद्रा नोट भारतीय रिजर्व बैंक की देनदारी (परिसंपत्ति नहीं) हैं।
बिंदु 2 सही है: परक्राम्य लिखत (negotiable instrument) वह है जो धारक को मांगे जाने पर या एक निश्चित अवधि के पश्चात एक निश्चित राशि प्राप्त करने का अधिकार देता है। जब भारतीय रिज़र्व बैंक मांग पर देय बिल (साइट बिल) पर परक्रामण (negotiate) करता है और धारक को शुल्क/ब्याज पर धन प्रदान करता है, तो इस सुविधा को खरीद बिल (bill purchase) के रूप में संदर्भित किया जाता है। जब भारतीय रिज़र्व बैंक एक अवधि के बाद देय बिल (अर्थात, एक निश्चित या निर्धारित अवधि (मीयादी बिल) पर) पर परक्रामण करता है और धारक को छूट पर धन प्रदान करता है, तो इस सुविधा को बट्टागत बिल (bill discounting) के रूप में संदर्भित किया जाता है। दोनों ही मामलों में भारतीय रिज़र्व बैंक ब्याज या छूट के रूप में लाभ कमाता है, इसलिए इसे भारतीय रिज़र्व बैंक की भुगतान शीट में परिसंपत्ति पक्ष में जोड़ा जाता है।
बिंदु 3 सही है: RBI अधिनियम, 1934 की धारा 17(5) के तहत केंद्र और राज्यों दोनों के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक से उधार लेने के लिए तरीके और साधन (Ways and Means) एक सुविधा है। भारतीय रिज़र्व बैंक इन ऋणों पर ब्याज अर्जित करता है और इसलिए इसे भारतीय रिज़र्व बैंक की भुगतान शीट में परिसंपत्ति पक्ष में जोड़ा जाता है।
बिंदु 4 गलत है: चलनिधि समायोजन सुविधा (LAF) और सीमांत स्थायी सुविधा (MSF) के तहत रेपो लेनदेन को उधार के रूप में माना जाता है और तदनुसार 'ऋण और अग्रिम' के तहत दिखाया जाता है, जबकि चलनिधि समायोजन सुविधा के तहत रिवर्स रेपो लेनदेन को जमा के रूप में माना जाता है। इसलिए, उन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक की भुगतान शीट के देयता पक्ष में जोड़ा जाता है।