The correct option is C
1, 2 and 3 only
केवल 1, 2 और 3
Point 1 is correct
Defence of a country cannot be completely handled by the private sector and markets, as they would invest in it if and only if it is profitable. Also, since it is a matter of national security, it needs trust before placing it in the hands of private sector.
Point 2 is correct
Welfare is by its nature not profitable. So the private sector cannot handle it.
Point 3 is correct
Regulation can be the prerogative of the state only because it requires fair play. Markets may indulge in foul play for the maximization of profits.
Point 4 is incorrect
Competition and efficiency are the mainstay of markets. In fact, a state may find it difficult to thrive if there is lack of competition
Extra Information
Macroeconomics tries to address situations facing the economy as a whole. Adam Smith, the founding father of modern economics, had suggested that if the buyers and sellers in each market take their decisions following only their own self-interest, economists will not need to think of the wealth and welfare of the country as a whole separately. But economists gradually discovered that they had to look further. Economists found that first, in some cases, the markets did not or could not exist. Secondly, in some other cases, the markets existed but failed to produce equilibrium of demand and supply. Thirdly, and most importantly, in a large number of situations, society (or the State, or the people as a whole) had decided to pursue certain important social goals unselfishly (in areas like employment, administration, defence, education and health) for which some of the aggregate effects of the microeconomic decisions made by the individual economic agents needed to be modified
किसी देश की रक्षा प्रणाली को पूरी तरह से निजी क्षेत्र और बाजारों द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता है क्योंकि वे इसमें मात्र उसी दशा में निवेश करेंगे जब यह उनके लिए लाभदायक हो।साथ ही चूंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है। अतः इसे निजी क्षेत्र के हाथों में सौंपने से पूर्व विश्वास आवश्यक है।
जनकल्याण लाभकारी नहीं होता है।अतः निजी क्षेत्र इसका प्रबंधन नहीं संभाल सकता हैं।
विनियमन पर केवल राज्य का विशेषाधिकार हो सकता है, क्योंकि इसमें निष्पक्ष भूमिका की आवश्यकता होती है।बाजार अधिकाधिक मुनाफे की चाहत में गैर-निष्पक्ष भूमिका को अपना सकते हैं।
प्रतिस्पर्धा और दक्षता बाजार व्यवस्था का मुख्य आधार है।वास्तव में प्रतिस्पर्धा के अभाव में बाजार का पनपना मुश्किल हो सकता है।
अतिरिक्त जानकारी
समष्टि अर्थशास्त्र में संपूर्ण अर्थव्यवस्था की स्थितियों को संबोधित करने का प्रयास किया जाता है।आधुनिक अर्थशास्त्र के जनक एडम स्मिथ ने भी यह सलाह दी है कि यदि प्रत्येक बाजार में क्रेता और विक्रेता अपने निजी हित को ध्यान में रखकर निर्णय लेंगे तो अर्थशास्त्रियों को संपूर्ण देश के धन और कल्याण के बारे में अलग से विचार करने की आश्यकता नहीं होगी।किन्तु अर्थशास्त्रियों ने कालक्रम में यह अन्वेषण किया कि उन्हें आगे देखना होगा।
अर्थशास्त्रियों ने पाया कि प्रथम कुछ मामलों में बाजार विद्यमान नहीं रहता है।द्वितीय कुछ मामलों में बाजार विद्यमान रहता है।तृतीय जो सबसे
महत्वपूर्ण है,अधिकांश स्थितियों में समाज (अथवा राज्य अथवा समस्त जनता को) कुछ महत्वपूर्ण सामाजिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए निःस्वार्थ रूप से(रोजगार,प्रशासन,प्रतिरक्षा,स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में) कार्य करने का निर्णय लेना पड़ता है जिनके लिए व्यक्तिगत आर्थिक एजेंटों के द्वारा लिए गए व्यष्टि अर्थशास्त्रीय निर्णयों के कुछ समस्त प्रभावों में परिवर्तन करना पड़ता है।