Q. Which of the following factors was/were responsible for the Revolt of 1857?
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Q. 1857 के विद्रोह के लिए निम्नलिखित में से कौन से कारक जिम्मेदार थे?
निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
Explanation:
All three factors were responsible for the revolt of 1857.
Statement 1 is correct: Military Discrimination: If judged on the basis of performance, Indian soldiers were at par with their British counterpart still they were paid less. They had very little opportunity to grow in ranks.
Statement 2 is correct: Religious Interference: The abolition of the custom of Sati, the legislation of widow remarriage and the opening of western education to girls were perceived by conservative Indians as British attempts to interfere in their religious matters. In 1850, a law was enacted which enabled a convert to Christianity to inherit his ancestral property.
Statement 3 is correct: Economic Exploitation: British economic policies completely destroyed the livelihood of many Indians. Peasants, artisans and handicraftsmen were impoverished under British rule. Peasants were subjected to exorbitant land revenue demand. Artisans and handicraftsmen lost their patronage which was earlier provided by Indian Rulers.
व्याख्या:
1857 के विद्रोह के लिए तीनों कारक जिम्मेदार थे।
कथन 1 सही है: सैन्य भेदभाव: यदि प्रदर्शन के आधार पर आंका जाए, तो भारतीय सैनिक अपने ब्रिटिश समकक्ष के बराबर थे, फिर भी उन्हें कम भुगतान किया जाता था। उनके पास रैंकों में आगे बढ़ने का बहुत कम अवसर होता था।
कथन 2 सही है: धार्मिक हस्तक्षेप: सती प्रथा का उन्मूलन, विधवा पुनर्विवाह का कानून और लड़कियों के लिए पश्चिमी शिक्षा के मार्ग खोलना आदि घटनाओं को रूढ़िवादी भारतीयों ने अपने धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप के ब्रिटिश प्रयासों के रूप में देखा। 1850 में, एक कानून बनाया गया था, जिसने ईसाई धर्म में धर्मांतरित को अपनी पुश्तैनी संपत्ति का वारिस बनने में सक्षम बनाया।
कथन 3 सही है: आर्थिक शोषण: ब्रिटिश आर्थिक नीतियों ने कई भारतीयों की आजीविका को पूरी तरह से नष्ट कर दिया। ब्रिटिश शासन में किसान, कारीगर और हस्तशिल्पी गरीब हो गए थे। किसानों से अत्यधिक भू-राजस्व की मांग की जाती थी। कारीगरों और हस्तशिल्पियों को प्राप्त संरक्षण ख़त्म हो गया जो पूर्व में उन्हें भारतीय शासकों से प्राप्त था।