The correct option is C
The executive power of the Union is vested in the Council of Ministers.
संघ की कार्यकारी शक्ति मंत्रिपरिषद में निहित है।
Option (a) is correct:
The advice tendered by the union Council of Ministers to the president is final and the president has to follow the advice. He can return the advice for reconsideration but if the council of ministers come up with the same suggestion again, it has to be followed. This advice cannot be termed for judicial inquiry regarding why an advice was tendered.
Option (b) is correct:
The salaries and allowances are determined by the laws passed by the parliament. The Salaries and Allowances of Ministers Act, 1952, has been passed for this purpose.
Option (c) is incorrect:
The executive powers of the Union are vested in the President. All the decisions are taken under his name. The council of ministers renders advice to the president for the same.
Option (d) is correct :
The 42nd amendment act of the constitution made the president bound by the advice of the council of ministers. In the 44th amendment, the president has been empowered to send back once the advice of cabinet for reconsideration. However, the reconsidered advice is binding on the president.
विकल्प (a) सही है:
केंद्रीय मंत्रिपरिषद द्वारा राष्ट्रपति को दी गई सलाह अंतिम होती है और राष्ट्रपति को सलाह को मानना होता है। वह सलाह को पुनर्विचार के लिए वापस भेज सकता है लेकिन यदि मंत्रिपरिषद फिर से सलाह देती है, तो उसे वह सलाह माननी होगी। इस सलाह की न्यायिक जांच नहीं की जा सकती कि यह सलाह क्यों दी गयी।
विकल्प (b) सही है:
वेतन और भत्ते संसद द्वारा पारित कानूनों द्वारा निर्धारित किए जाते हैं। मंत्रियों के वेतन और भत्ते अधिनियम, 1952 को इस उद्देश्य के लिए पारित किया गया है।
विकल्प (c) गलत है:
संघ की कार्यकारी शक्तियाँ राष्ट्रपति में निहित होती हैं। सभी निर्णय राष्ट्रपति के नाम पर लिए जाते हैं। मंत्रिपरिषद राष्ट्रपति को उसी के लिए सलाह देती है।
विकल्प (d) सही है:
संविधान के 42 वें संशोधन अधिनियम ने राष्ट्रपति को मंत्रिपरिषद की सलाह मानने के लिए बाध्य किया। 44 वें संशोधन में राष्ट्रपति को पुनर्विचार के लिए कैबिनेट की सलाह एक बार वापस भेजने का अधिकार दिया गया है। हालांकि पुनर्विचार के बाद दी गयी सलाह मानना राष्ट्रपति के लिए बाध्यकारी है।